
कोलकाता, 20 अप्रैल।पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि वह ‘शांति संदेश’ के नाम पर नफरत फैलाने का काम कर रही हैं। उन्होंने ममता पर अपने पद और सरकारी साधनों के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि मुख्यमंत्री वोटबैंक की राजनीति के तहत समाज में जहर घोल रही हैं।
रविवार को जारी अपने बयान में अधिकारी ने कहा, “यह अत्यंत शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने आधिकारिक लेटरहेड पर ‘शांति संदेश’ जारी कर रही हैं, लेकिन वास्तव में वह नफरत और घृणा फैला रही हैं। यह पूरी तरह ढोंग और पाखंड है।”
मुख्यमंत्री द्वारा शनिवार रात जारी एक खुले पत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अधिकारी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी लोगों को भाजपा और संघ परिवार के खिलाफ भड़काने का प्रयास कर रही हैं।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री यह झूठा नैरेटिव गढ़ रही हैं कि हिंदुओं के खिलाफ जातीय सफाया संघ परिवार की वजह से हुआ है। यह न सिर्फ हास्यास्पद है, बल्कि पूरी तरह विरोधाभासी भी, क्योंकि हर बच्चा जानता है कि संघ परिवार हिंदू समाज का सबसे बड़ा रक्षक है।”
शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने मुर्शिदाबाद में हाल में भड़की सांप्रदायिक हिंसा पर चुप्पी साध रखी है। यह इलाका वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के बाद हिंसा और तनाव की चपेट में आ गया था। अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री की चुप्पी यह दर्शाती है कि वह कट्टरपंथियों के पक्ष में खड़ी हैं।
उन्होंने यह भी कहा, “यह बेहद चिंता की बात है कि मुख्यमंत्री ने खुद अपने पत्र में स्वीकार किया है कि दंगे फैलाने के लिए राज्य से बाहर के लोग आए और फिर भाग निकले। यह देश की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा है। इस स्वीकारोक्ति के बाद केंद्र सरकार को इस पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से करानी चाहिए।”
अधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि राज्य पुलिस से जांच कराना केवल मुख्यमंत्री के नैरेटिव को वैध ठहराने की औपचारिकता होगी। उन्होंने गृह मंत्रालय से अपील की कि मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए तुरंत एनआईए जांच के निर्देश दिए जाएं।