कोलकाता, 26 जुलाई । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों के साथ हो रहे कथित उत्पीड़न पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने दावा किया, “न्यूयॉर्क स्थित प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ (एचआरडब्ल्यू) ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में बंगाली भाषी लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है, उनके साथ भेदभाव हो रहा है और उन्हें अवैध रूप से देश से बाहर निकाला जा रहा है।”

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को एक आधिकारिक बयान में कहा, “ह्यूमन राइट्स वॉच ने यह उजागर किया है कि भाजपा शासित राज्यों में भारतीय बंगालियों को संगठित रूप से निशाना बनाया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग-अलग जातियों और समुदायों के बंगाली भाषी भारतीय नागरिकों के साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है और उन्हें बाहर निकालने की कोशिशें हो रही हैं।”

उन्होंने एचआरडब्ल्यू की एशिया निदेशक एलेन पियर्सन का हवाला देते हुए कहा, “भाजपा सरकार बंगालियों को मनमाने ढंग से देश से निकालकर भेदभाव को बढ़ावा दे रही है, जिनमें भारतीय नागरिक भी शामिल हैं। उनका यह दावा कि वे अवैध घुसपैठ को रोक रहे हैं, सरासर अविश्वसनीय है।”

ममता ने आगे कहा कि यह सिलसिला असम, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और दिल्ली जैसे भाजपा शासित राज्यों में गृह मंत्रालय के निर्देश पर चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “यह शर्मनाक है कि अब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन भी भारत में फैले इस भाषायी आतंकवाद पर ध्यान देने लगे हैं। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।”

यह बयान उस वक्त आया जब भाजपा के आईटी सेल प्रमुख और बंगाल के प्रभारी अमित मालवीय ने गुरुग्राम में 100 अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिरफ्तारी के बाद आशंका जताई थी कि ममता बनर्जी इस पर भी राजनीतिक बयान दे सकती हैं। इससे कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री ने यह प्रतिक्रिया जारी की।

गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने हाल के दिनों में अपने राजनीतिक विमर्श को “बंगाल खतरे में” से बदलकर “बंगाली खतरे में” कर दिया है। उन्होंने बार-बार भाजपा शासित राज्यों में बंगाल वासियों को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया है।

पिछले सप्ताह उन्होंने राज्य भर में सप्ताहांत में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की घोषणा की थी, जिसे उन्होंने ‘एक और भाषा आंदोलन’ बताया था। हालांकि इस कदम की आलोचना भी हुई है, क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हुआ असली भाषा आंदोलन 1971 में उस देश की आज़ादी की नींव बना था।

भाजपा की ओर से आरोप लगाया गया है कि ममता बनर्जी “अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने” के लिए भावनात्मक हथियार के तौर पर भाषा आंदोलन की विरासत का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि उनकी यह लड़ाई “असली भारतीय बंगालियों की रक्षा” नहीं बल्कि “राजनीतिक स्वार्थ” से प्रेरित है।