पारम्परिक खेल सितोलिया और लट्टू भी खिलखिलाए

उदयपुर, 14 जनवरी। भले ही मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी यानी सोमवार को है, लेकिन 14 जनवरी की तारीख जनमानस में मकर संक्रांति के रूप में प्रचलित होने के कारण दान-पुण्य और पारम्परिक खान-पान और खेलों का दौर रविवार से ही शुरू हो गया।

चूंकि, दिन रविवारीय अवकाश का रहा तो सुबह से ही मैदानों, चौक और गलियों में बच्चों की रेलमपेल नजर आने लग गई। कहीं देवदर्शन के साथ अन्न, वस्त्र और हरे चारे (रिचका) का दान हुआ तो कहीं श्रम का दान। घरों में मकर संक्रांति पर परम्परागत रूप से बनने वाले खीच-खिचड़े और तिल के लड्डू की खुशबू ने लुभाया।

उदयपुर में रविवार से ही मकर संक्रांति का उल्लास नजर आने लग गया। अलसुबह से ही याचकों की टेर घर की ड्योढ़ी पर सुनाई देने लग गई। लोगों ने घरों से निकलकर याचकों को अन्न-वस्त्र का दान किया। कहीं-कहीं गौशालाओं में लोगों की भीड़ नजर आई। लोगों ने वहां पहुंचकर यथायोग्य दान किया। दान-पुण्य के इस पावन पर्व पर कुछ स्थानों पर श्रम दान का भी दौर रहा।

विभिन्न समाजों, युवा संगठनों की ओर से खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन रखा गया। इन खेलों में महिलाओं के बीच सितोलिया छाया रहा तो बच्चों में लट्टू, मारदड़ी, पतंगबाजी का सुरूर चढ़ा रहा।