नई दिल्ली, 28 जुलाई। देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने फिलिस्तीन के समर्थन में एकजुटता का प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही भारत सरकार, विश्व समुदाय और संयुक्त राष्ट्र संघ से गाजा में इजरायल के जरिए भूखे प्यासे निहत्थे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर की जा रही बमबारी को रोकने और वहां पर शांति स्थापित करने की मांग की है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि गाजा में चल रहे नरसंहार को तत्काल बंद किया जाना चाहिए और वहां पर भूख-प्यास से मर रहे लोगों की जिंदगियों को बचाने के लिए राहत सामग्री को पहुंचाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

यहां प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सआदतउल्लाह हुसैनी, मरकज़ी जमीअत अहले हदीस के अमीर असगर अली इमाम सल्फी मेंहदी, जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमउद्दीन कासमी, शिया जामा मस्जिद के इमाम सैयद मोहसिन तकवी सहित विभिन्न मुस्लिम संगठनों के जिम्मेदारों ने भाग लिया। मुस्लिम संगठनों ने संयुक्त बयान में गाजा में गहराते मानवीय संकट पर गंभीर चिंता जतायी। उन्होंने भारत सरकार से इजरायल की जारी आक्रामकता को रोकने में अधिक दृढ़ और नैतिक रूप से साहसी भूमिका निभाने का आह्वान किया है।

मीडिया को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने गाजा की स्थिति को अभूतपूर्व मानवीय आपदा बताया तथा चेतावनी दी कि अकाल अत्यंत सन्निकट है जो विनाश का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि गाजा भूख से मर रहा है। समय पर कार्रवाई न करना एक ऐतिहासिक अपराध होगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मानवीय सहायता अवरुद्ध होने और गजा के बुनियादी ढांचे के नष्ट होने के कारण 20 लाख से अधिक निवासी बड़े पैमाने पर भुखमरी, चिकित्सा प्रणालियों के पतन और अनिवार्य सेवाओं के पूर्ण अभाव का सामना कर रहे हैं। 90 फीसद से ज़्यादा अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा केंद्र बमबारी से तबाह हो चुके हैं या बंद पड़े हैं।

वक्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के हालिया रुख को सराहा, जिसमें उसके स्थायी प्रतिनिधि द्वारा युद्ध विराम का आह्वान किया गया है और मानवीय आपातकाल पर जोर दिया गया है। वक्ताओं ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने देश के हालिया बयान का स्वागत करते हैं जिसमें एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और तत्काल युद्धविराम के आह्वान की पुष्टि की गई है। यह एक सकारात्मक कदम है।

उन्होंने मानवीय गलियारों को तुरंत खोलने और भारत से इजरायल के साथ सभी सैन्य और रणनीतिक सहयोग तब तक स्थगित करने का आह्वान किया जब तक कि युद्ध समाप्त न हो जाए। भारत को उत्पीड़ितों के साथ खड़े होने की एक गौरवशाली विरासत मिली है। हमें अब निर्णायक कार्रवाई करके उस विरासत का सम्मान करना चाहिए।