कोलकाता, 16 जून । कलकत्ता हाई कोर्ट की अवकाशकालीन एकल पीठ ने सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को दक्षिण 24 परगना के महेशतला का दौरा करने की अनुमति दे दी। यहां पिछले सप्ताह दो गुटों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें कई घर, दुकानें और धार्मिक प्रतिष्ठान क्षतिग्रस्त हुए थे।

न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य की पीठ ने अधिकारी के साथ दो अन्य भाजपा नेताओं को भी महेशतला जाने की इजाजत दी। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अधिकारी न तो कोई रैली करेंगे और न ही कोई भड़काऊ या विवादित बयान देंगे।

शुभेंदु अधिकारी ने महेशतला के रवींद्रनगर थाना क्षेत्र के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने के लिए पहले पुलिस स्टेशन और जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आवेदन दिया था, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सोमवार को सुनवाई के दौरान अधिकारी के वकील ने बताया कि इलाके में लागू निषेधाज्ञा सोमवार को ही समाप्त हो रही है, ऐसे में उनके मुवक्किल को दौरे की अनुमति दी जानी चाहिए। न्यायाधीश ने इस तर्क से सहमति जताते हुए राज्य सरकार से पूछा कि यदि निषेधाज्ञा हट चुकी है, तो फिर विपक्ष के नेता के दौरे पर आपत्ति क्यों?

राज्य सरकार के वकील ने दावा किया कि शुभेंदु अधिकारी ने सीधे महेशतला जाकर स्थिति का जायजा लेने के बजाय कोर्ट का रुख सिर्फ राजनीतिक प्रचार के लिए किया है। इस पर न्यायाधीश ने सवाल किया कि यदि नेता प्रतिपक्ष को ही वहां जाने में दिक्कत है, तो आम नागरिकों की स्थिति क्या होगी?

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की आपत्तियों को खारिज करते हुए मंगलवार को शुभेंदु अधिकारी को दौरे की अनुमति दे दी।

महेशतला में हुई हिंसा में पुलिसकर्मियों पर हमले हुए, दुकानों और घरों को आग के हवाले कर दिया गया और मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया। हालांकि पुलिस प्रशासन ने कहा कि यह विवाद इलाके में एक दुकान लगाने को लेकर शुरू हुआ था। लेकिन शुभेंदु अधिकारी ने इसे “सांप्रदायिक हिंसा” करार दिया और आरोप लगाया कि वार्ड नंबर सात में शिव मंदिर समिति की जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध दुकानें बनाई गई थीं।

घटना के बाद राज्य सरकार ने 14 जून को महेशतला के सब-डिविजनल पुलिस ऑफिसर (एसडीपीओ) और थाना प्रभारी (आईसी) का तत्काल तबादला कर दिया था।