
कोलकाता, 1 अगस्त। भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग जो महारास किया था ,वह मानवीय लीला नहीं ईश्वरीय लीला है।भगवान कृष्ण परमात्मा है तो गोपियां जीवात्मा है।सारा संसार श्रीकृष्ण को याद करता है पर भगवान कृष्ण गोपियों को याद करते हैं।सोचिए गोपियों का जीवन कितना दिव्य और पवित्र होगा। गोपियों का जीना और मरना कृष्ण के लिए था। महारास के समय जब गोपियों को इस बात का अभिमान हो गया कि मेरे सौन्दर्य के चलते महारास हो रहा है तो कृष्ण अचानक गायब हो गए। जब गोपियों को इस बात का पता चला तो कृष्ण के वियोग में रोने लगी। अंत में किशोरी जी के संग कृष्ण को पुकारने लगी वही गोपी गीत बना। अंत में गोपियों के समर्पण प्रेम को देखकर पुन: भगवान कृष्ण महारास में प्रकट हुए। भगवान के मार्ग में अभिमान बाधक होता है। भगवान कृष्ण ने गोपियों के पूछने पर कहा कि जो प्रेम के बदले प्रेम करे उसे व्यवहार कहते है। जो बिना रिटर्न गिफ्ट लिए प्रेम करता है,जैसा माता,पिता,गुरु करता है,वह दिव्य प्रेम होता है। अंत में भगवान कृष्ण गोपियों से कहते हैं ,अरे!तुम्हारा निश्चल प्रेम है।यह महारास न करता तो तुम्हारे अंदर मक्खन रूपी मेरा प्रेम है,वह कैसे प्रकट होता। महारास दिव्य प्रेम लीला है। महारास प्रसंग को सुनने से हृदय की समस्त कामनाएं समाप्त हो जाती है और हृदय में दिव्य कृष्ण-प्रेम प्रकट हो जाता है। ये बातें सीताराम-श्याम सुंदर लोहिया परिवार के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने सफ्फायर सभागार में कही।
कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का रूक्मणी के संग धूमधाम से विवाह मनाया गया। कथा के मुख्य यजमान मायादेवी-ओम प्रकाश लोहिया ने व्यासपीठ का पूजन किया।कृति-आशीष लोहिया व नेहा-विनीत लोहिया ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन पुरुषोत्तम तिवारी ने किया।इस अवसर पर दर्शन केसरी स्वामी मुक्तानंद महाराज, मुरारीलाल दीवान, अरविन्द नेवर,सीमा सुरक्षा बल,पूर्वी क्षेत्र के कमांडेंट मनोज राय,संगीता राय,बाबू लाल दीवान, सज्जन सिंघानिया, राजू चौधरी,सावित्री लोहिया, बबीता दीवान, प्रभात पंसारी, दुर्गा प्रसाद अग्रवाल,ओमप्रकाश अग्रवाल,सावित्री-महावीर प्रसाद रावत सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।