महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट को लेकर बैठक, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों व हितधारकों ने दिए सुझाव

उदयपुर, 7 सितंबर। प्रदेश की उप मुख्यमंत्री दीयाकुमारी ने कहा कि महाराणा प्रताप का व्यक्तित्व बहुत विराट और विश्व वंदनीय है। राज्य सरकार की ओर से बजट घोषणा में प्रताप टूरिस्ट सर्किट के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। टूरिस्ट सर्किट में जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, स्थानीय लोगों आदि के सुझावों का समावेश करते हुए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसमें धरोहर को मूल स्वरूप में संरक्षित रखते हुए पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।

उप मुख्यमंत्री शुक्रवार सुबह संभागीय आयुक्त कार्यालय सभागार में महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट को लेकर हितधारकों के सुझाव प्राप्त करने के लिए आयोजित बैठक को संबोधित कर रही थीं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि टूरिस्ट सर्किट में यथासंभव महाराणा प्रताप से जुड़े सभी प्रमुख स्थलों को शामिल किया जाएगा। इसमें प्रयास रहेगा कि उन स्थलों पर अवस्थित ऐतिहासिक धरोहरों को यथावत रखते हुए उन्हें संरक्षित कर साफ-सफाई, सुरक्षा, लाइटिंग, ऑडियो गाइड, साउण्ड, पर्यटकों के लिए सुविधाएं, पेयजल, बैठक आदि की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने धरोहर से छेड़छाड़ न करने व उसे मूल स्वरूप में ही संरक्षित करने के साथ-साथ धरोहर के प्रचार-प्रसार, सोशल मीडिया पर प्रमोशन तथा उसकी मार्केटिंग पर ध्यान दिया जाएगा ताकि अधिकाधिक पर्यटक इनकी ओर आकर्षित हो। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकार ने कई स्थानों पर बड़ा बजट खर्च किया परंतु व्यवस्थित कार्ययोजना के अभाव में कोई सुधार नहीं दिखा।

केवड़िया की तर्ज पर वर्ल्ड क्लास म्यूजियम बने

उप मुख्यमंत्री दियाकुमारी ने कहा कि प्रताप टूरिस्ट सर्किट में अतिरिक्त नवीन निर्माण के बजाए विरासत को संरक्षित करने पर फोकस रहे तो बेहतर रहेगा। इसके अलावा गुजरात के केवडिया में स्टेच्यू आॅफ युनिटी के समीप बनाए गए म्यूजियम की तर्ज पर वल्र्ड क्लास म्यूजियम बनाया जा सकता है। इसके माध्यम से पर्यटकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों को मेवाड़ और महाराणा प्रताप के गौरवशाली इतिहास से रूबरू होने का अवसर मिल सके।

एयरपोर्ट पर बने टूरिस्ट इंफोर्मेशन सेंटर

उपमुख्यमंत्री ने महाराणा प्रताप से जुड़े स्थलों को लेकर जिलेभर में कहीं पर भी साइनेज नहीं लगे होने पर अचरज व्यक्त किया। उन्होंने एयरपोर्ट, रेल्वे स्टेशन, हाई-वे और प्रमुख मार्गों पर इन पर्यटन स्थलों की दिशा व दूरी बताने वाले साईनेज स्थापित करने के लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों से संपर्क करने के निर्देश दिए। उन्होंने एयरपोर्ट पर भी प्रताप से जुड़े पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं होने पर कहा कि एयरपोर्ट टूरिस्ट इंफोर्मेशन सेंटर विकसित किया जाना चाहिए, ताकि बाहर से आने वाले पर्यटकों को एयरपोर्ट पर ही क्षेत्र के प्रमुख स्थलों तथा वहां तक पहुंचने के मार्ग व साधनों की जानकारी मिल सके।

जनप्रतिनिधि सबसे बड़े इंफ्लूएंसर्स

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रताप टूरिस्ट सर्किट परियोजना में प्रचार-प्रसार और विशेष कर सोशल मीडिया पर प्रचार को लेकर भी विशेष कार्ययोजना तैयार की जाएगी। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को इंगित करते हुए कहा कि आप सभी सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और सबसे बड़े इंफ्लूएंसर्स हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपने क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थलों पर जाकर उनकी तथ्यात्मक जानकारी के साथ अपने सोशल मीडिया हैण्डल पर पोस्ट साझा करने का आह्वान किया, ताकि अधिक से अधिक लोग इन स्थलों के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर वहां तक पहुंच सकें।

आजादी के बाद पहला बजट जिसमें प्रताप सर्किट की घोषणा हुई

प्रारंभ में धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने बैठक के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजादी के बाद पहला बजट है, जिसमें महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट को लेकर घोषणा की गई। इससे स्पष्ट है कि सरकार विरासत संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है। किसी महापुरूष को लेकर यह पहली बड़ी घोषणा है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के स्वाभिमान से पूरी दुनिया परिचित है। महाराणा ने तृणचर, वनचर कहलाना पसंद किया, लेकिन मुगलों का अनुचर बनना कभी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि टूरिस्ट सर्किट में प्रताप से जुड़े सभी प्रमुख स्थलों को शामिल करते हुए वहां पर सुविधाओं, आवागमन, आवास, ग्रंथालय आदि का विकास किया जाएगा। इसके अलावा मेवाड़ व प्रताप के इतिहास को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए प्रस्तुत करने का प्रयास रहेगा। इसके लिए प्रताप से जुड़े साहित्यों का भी अध्ययन किया जा रहा है।

कई महत्वपूर्ण सुझाव आए

बैठक दौरान जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने देवली में महाराणा प्रताप के अज्ञातवास स्थल तथा राणा पूंजा के योगदान को भी सर्किट में शामिल करने का सुझाव दिया। लोकसभा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने कहा कि महाराणा प्रताप प्रभु श्री राम की परंपरा से आते हैं, मेवाड़ के राजा एकलिंगनाथ को माना जाता है, यहां धर्म को दृढ़ रखना ध्येय वाक्य रहा है, ऐसे में उन भावनाओं का समावेश भी टूरिस्ट सर्किट में होना चाहिए। इसके अलावा वीर दुदा और भीलू राणा पूंजा को भी स्थान मिले। राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने कहा कि महाराणा होली मनाने कमलनाथ मंदिर झाड़ोल आते थे। उस स्थल को भी कवर किया जाएगा। साथ ही राणा पूंजा और भामाशाह से जुड़े स्थलों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन ने टीकमबावजी तथा वहां बने शस्त्रागार को शामिल करने की पैरवी की। साथ ही भामाशाह पैनोरमा उदयपुर में बनाए जाने का सुझाव दिया। उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा ने उबेश्वर महादेव, कलेश्वर महादेव, झामेश्वर तथा नांदेश्वर स्थलों को भी विकसित करने का सुझाव दिया। नाथद्वारा विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने विरासत स्थलों के संरक्षण को प्राथमिकता दिए जाने का सुझाव दिया। कुंभलगढ़ विधायक सुरेंद्रसिंह राठौड़ ने केलवाड़ा, गोरा बादल यु़द्ध स्थल आदि को विकसित करने की पैरवी की। गोगुन्दा विधायक प्रताप गमेती ने प्रताप से जुड़े स्थलों पर बने स्मारक आदि के रखरखाव को लेकर दूरगामी कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया।

इन्होंने ने भी दिए सुझाव

महाराणा प्रताप स्मारक अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रवीरसिंह ने चावण्ड में महाराणा प्रताप निर्वाण स्थली पर भव्य म्यूजियम बनाने तथा कुंभलगढ़ में विश्व की सबसे बड़े महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित किए जाने का सुझाव दिया। राजसमंद विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी, नगर निगम महापौर गोविन्दसिंह टांक, उप महापौर पारस सिंघवी, उप जिला प्रमुख पुष्कर तेली सहित विभिन्न जनप्रतिनिधियों, एमएलएसयू, राजस्थान विद्यापीठ, सामाजिक संगठनों, होटल एसोसिएशन पदाधिकारियों आदि ने भी लिखित में अपने सुझाव धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण को उपलब्ध कराए। बैठक का संचालन धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राकेश शर्मा ने किया।