लखनऊ, 30 अप्रैल। आम तौर एक वोट की ताकत को बड़े चुनावों में कम करके आंका जाता है। लोग अक्सर यह कहते सुने जा सकते हैं कि एक वोट से क्या होगा। लेकिन इतिहास खंगालने पर एक वोट की ताकत क्या होती है यह पता चलता है। उप्र में दो चरणों के चुनाव में कम मतदान ने राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा रखी है। ऐसे में एक-एक वोट जरूरी हो जाता है। उल्लेखनीय है कि साल 2019 में मछलीशहर सीट पर मात्र 181 वोटों से भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई थी।

बीपी सरोज 181 वोट के अंतर से जीते

17वीं लोकसभा के लिए 2019 में हुए आम चुनाव भाजपा प्रत्याशाी बीपी सरोज मछलीशहर (अ0जा0) सीट से मात्र 181 वोटों के अंतर से जीते थे। पूर्वांचल की इस अहम सीट सीट पर अंतिम समय तक मुकाबला रोचक बना रहा। हालत यह रही कि हर राउंड के बाद उलटफेर होता रहा। बीपी सरोज को जहां 488,397 (47.17 प्रतिशत) वोट मिले वहीं बसपा के त्रिभुवन राम 488,216 (47.15 प्रतिशत) वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। वहीं 2009 में चंदौली सीट पर सपा प्रत्याशी रामकिशुन यादव ने 459 वोट से जीत का सेहरा बांधा था।

जब 77 और 105 वोटों के अंतर से मिली जीत

1980 के आम चुनाव में पूर्वांचल की अहम मानें जाने वाली देवरिया संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रामायण राय अपने निकट प्रतिद्धंदी से मात्र 77 वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। साल 1999 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश ही नहीं देश में सबसे छोटी जीत दर्ज की थी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी प्यारे लाल शंखवार ने। बसपा प्रत्याशी घाटमपुर (सुरक्षित) सीट से मात्र 105 वोटों के मामूली अंतर से संसद की चौखट लांघने में कामयाब हुए। 1991 के आम चुनाव में जनता दल (जेडी) के प्रत्याशी राम अवध अकबरपुर (सुरक्षित) सीट मात्र 156 वोटों के अंतर से जीते थे। 1980 में जौनपुर से जौनपुर से जनता पार्टी सेक्यूलर उम्मीदवार अजीजुल्लाह 2763, 1984 में आजमगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. संतोष सिंह 2786 और 1967 में गाजीपुर से सीपीआई प्रत्याशी सरजू पांडेय 3240 वोटों के अंतर से जीते थे।

2019 के चुनाव में कांटे की टक्कर वाली सीटें

मुजफ्फरनगर सीट से मौजूदा सांसद भाजपा प्रत्याशी संजीव कुमार बालियान ने गठबंधन उम्मीदवार राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख चौधरी अजित सिंह को 6526 मतों से हराया। मेरठ से भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र अग्रवाल ने गठबंधन उम्मादवार बसपा के हाजी याकूब कुरैशी का 4729 मतों से पराजित किया। श्रावस्ती सीट से गठबंधन प्रत्याशी बसपा के राम शिरोमणि ने कड़ी टक्कर में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार दद्दन मिश्रा को 5320 मतों से हराया।

मतदाता जागरूक तो जीत का बड़ा अंतर

दूसरी ओर जब मतदाता जागरूक होकर वोट करते हैं तो जीत के बड़े अंतर भी दिखाई देते हैं। 2019 के चुनाव में गाजियाबाद से भाजपा प्रत्याशी वीके सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी गठबंधन उम्मीदवार सपा के सुरेश बंसल को 5 लाख 1 हजार 500 मतों से हराया। फतेहपुर सीकरी सीट से भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर को 4 लाख 95 हजार 65 मतों के भारी अंतर से हराया। उन्नाव से भाजपा प्रत्याशी साक्षी महाराज ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी गठबंधन उम्मीदवार सपा के अरुण शंकर शुक्ला को 4 लाख 956 मतों से हराया। वहीं वाराणसी सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा की शालिनी यादव को 4 लाख 79 हजार 505 मतों के भारी अंतर से परास्त किया।

पहले दो चरणों में पिछले चुनाव के मुकाबले कम मतदान

19 अप्रैल को पहले चरण में प्रदेश में कुल 61.11 फीसदी मतदान हुआ था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर 66.41 प्रतिशत मतदान हुआ था। पिछले चुनाव के मुकाबले पहले चरण की इन सीटों पर करीब 5.39 फीसदी कम वोट पड़े हैं।

प्रदेश की 8 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को हुआ। इस दौरान वोटिंग प्रतिशत 55.39 रहा। पिछले आम चुनाव में इन सीटों पर 62.18 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस हिसाब से साल 2024 के चुनाव में दूसरे चरण में पिछले चुनाव के मुकाबले 6.79 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है।

वरिष्ठ पत्रकार तारकेश्वर मिश्र के मुताबिक, लोकतंत्र के महापर्व में हरेक वोट कीमती होता है। महज एक वोट से अटल जी सरकार गिर गई थी। इसलिए वोट जरूर कीजिए। अन्यथा यह बहुत संभव है कि आपका पसंदीदा उम्मीदवार संसद की सीढ़ियां चढ़ने से वंचित रह जाए।