नगर का भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल जानेंगे अवंतिकानाथ, लोकनृत्य की होगी प्रस्तुति

उज्जैन, 12 अगस्त । विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद मास में निकलने वाली सवारी के क्रम में आज सावन के चौथे सोमवार को भगवान महाकाल की चौथी सवारी धूमधाम से निकाली जाएगी। रजत पालकी में सवार होकर अवंतिकानाथ अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण करेंगे। सवारी के दौरान भगवान महाकालेश्वर पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में तथा हाथी पर मनमहेश के रूप में, गरुड़ रथ पर शिव तांडव तथा नंदी पर उमा- महेश रूप में सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे।

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक मृणाल मीना ने बताया कि सवारी में लोक संस्कृति के रंग भी नजर आएंगे। इस बार धार के जनजाति कलाकारों का दल घसिया बाजा नृत्य की प्रस्तुति देते हुए चलेगा। महाकालेश्वर मंदिर से शाम चार बजे सवारी की शुरुआत होगी। सवारी निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में अपराह्न साढ़े तीन बजे भगवान चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। उसके पश्चात शाम चार बजे भगवान चन्द्रमौलेश्वर रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

उन्होंने बताया कि मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जाएगी। उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी, जहां माँ क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।

महाकालेश्वर भगवान की सवारी का सजीव प्रसारण मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक पर किया जाएगा। इसके साथ ही सवारी के अंत में चलित रथ में एलईडी के माध्यम से सवारी मार्ग में दर्शन हेतु खड़े श्रद्धालुओं को सजीव दर्शन की व्यवस्था की गई है। इस चलित रथ की विशेषता यह है कि इसमें लाइव बॉक्स रहेगा, जिससे लाइव प्रसारण निर्बाध रूप से होगा।

सवारी के दौरान श्रद्धालुओं से अपील है कि सवारी मार्ग में सड़क की ओर व्यापारीगण भट्टी चालू न रखें और न ही तेल का कड़ाव रखें। दर्शनार्थी सवारी में उल्टी दिशा में न चलें और सवारी निकलने तक अपने स्थान पर खड़े रहें। दर्शनार्थी गलियों में वाहन न रखें। श्रद्धालु सवारी के दौरान सिक्के, नारियल, केले, फल आदि न फैंकें। सवारी के बीच में प्रसाद और चित्र वितरण न करें। इसके अलावा पालकी के आसपास अनावश्यक संख्या में लोग न रहें।