राजपूत उम्मीदवार चार से हुए एक, भूमिहार की संख्या हुई दोगुनी
पटना, 12 अप्रैल। लोकसभा चुनाव-2024 में महागठबंधन के दलों ने बिहार में ब्राह्मणों को टिकट नहीं दिया है। वहीं बाबू साहेब की भी सीटों की संख्या चार से एक कर दी है। राजद ने सबसे ज्यादा फोकस कुशवाहा पर किया है। बिहार के 40 सीटों में से महागठबंधन ने छह कुशवाहा उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि अपने आधार वोट बैंक (यादव) समाज से आठ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
राजद और महागठबंधन ने इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका राजपूत जाति के उम्मीदवारों को भी दिया है। महागठबंधन ने सिर्फ एक राजपूत उम्मीदवार को खड़ा किया है। बक्सर सीट से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा राजपूत जाति का अन्य कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। वैसे कांग्रेस के छह उम्मीदवारों के नाम अभी सामने नहीं आये हैं लेकिन उनमें किसी राजपूत उम्मीदवार को जगह मिलने की संभावना नहीं के बराबर है।
महागठबंधन ने सवर्ण जाति में सबसे ज्यादा अहमियत भूमिहारों को दी गई है। जहां वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भूमिहारों को एक सीट दी गई थी, वहीं 2024 में वैशाली से मुन्ना शुक्ला (राजद) और भागलपुर से अजीत शर्मा (कांग्रेस) के उम्मीदवार बनाया गए हैं। जबकि महाराजगंज लोकसभा सीट से भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के बेटे आकाश सिंह वहां से चुनाव लड़ सकते हैं।
वर्ष 2019 से 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना करने पर आंकड़ा ये बताता है कि महागठबंधन में राजपूतों को क्वार्टर कर दिया गया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से चार राजपूत जाति के उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इस बार सिर्फ एक उम्मीदवार उतारा गया है। वर्ष 2019 राजद की ओर से बक्सर, वैशाली, पूर्णिया और महाराजगंज सीट से राजपूत उम्मीदवार खड़ा किया गया था लेकिन वर्ष 2024 में स्थिति पूरी तरह बदल दी गयी है ।
महागठबंधन के टिकट वितरण में एक और दिलचस्प बात सामने आई है। सर्वणों में सबसे ज्यादा संख्या वाले ब्राह्मणों के हाथ एक भी सीट नहीं आयी है। बिहार में पिछले साल आयी जातीय जनगणना की रिपोर्ट बताती है कि बिहार में ब्राह्मणों की आबादी 3.66 प्रतिशत है। जातीय सर्वे के अनुसार राज्य में भूमिहारों की संख्या 2.86 फीसदी है, जबकि राजपूतों की आबादी 3.45 प्रतिशत है। अब महागठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग ये है कि सवर्णों में सबसे ज्यादा आबादी वाले ब्राह्मण साफ हो गये हैं। राजपूत चार से एक पर चले आये हैं। भूमिहारों का हिस्सा तीन गुणा हो गया है। पिछले चुनाव में महागठबंधन की ओर से सिर्फ एक भूमिहार को टिकट दिया गया था।