कोलकाता, 21 मार्च। लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद पूरे देश में राजनीतिक जोर आजमाइश शुरू हो गई है। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। इनमें से उत्तर बंगाल की कुछ सीटों पर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच नजदीकी मुकाबले के आसार हैं। ऐसी ही एक सीट है कूचबिहार लोकसभा सीट। बांग्लादेश सीमा से लगी इस सीट से भाजपा के निशीथ प्रमाणिक सांसद हैं, जो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री भी हैं।
किस पार्टी से कौन उम्मीदवार
निशीथ प्रमाणिक 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तृणमूल छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे। इस बार भी यहां से भाजपा ने उन्हें ही टिकट दिया है।
तृणमूल कांग्रेस की ओर से जगदीश चंद्र बसूनिया चुनावी मैदान में हैं। वह इस लोकसभा क्षेत्र के सिताई विधानसभा से फिलहाल तृणमूल कांग्रेस के विधायक हैं। वह 2021 के चुनाव में पहली बार जीते थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर परेशचंद्र अधिकारी ने चुनाव लड़ा था लेकिन वह शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हुए हैं और उनकी बेटी की नौकरी भी चली गई है। इसलिए तृणमूल कांग्रेस ने उम्मीदवार बदला है।
माकपा की ओर से नीतिश चंद्र रॉय चुनावी मैदान में हैं। वह सामान्य व्यक्ति हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं, साफ-सुथरी छवि के हैं। क्योंकि माकपा ने यहां से उम्मीदवार उतार दिया है इसलिए कांग्रेस उम्मीदवार नहीं दे सकी है। हालांकि अभी कांग्रेस उम्मीदवारों का ऐलान नहीं हुआ है। मुकाबला तो वैसे सीधे तौर पर भाजपा और तृणमूल के बीच होने वाले हैं, लेकिन वामदलों और कांग्रेस की साझा उम्मीदवारी की वजह से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।
भौगोलिक स्थिति
कूचबिहार पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्सा का एक महत्वपूर्ण जिला है। कूचबिहार बंगाल की उन लोकसभा सीटों में से एक है, जो ऐतिहासिक होने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों और अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है। यहां लंबे समय तक वामपंथी दल फारवर्ड ब्लॉक का कब्जा रहा है, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में इस सीट की तस्वीर बदली और तृणमूल कांग्रेस की रेणुका सिन्हा विजय रहीं। रेणुका सिन्हा के निधन के बाद 2016 में हुए उपचुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस के पाथर प्रतिमा राय जीतने में कामयाब रहे।
कूचबिहार लोकसभा सीट अभी अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। इसके तहत सात विधानसभा सीटें मसलन मठाबगान, सीतालकुची, सिताई, अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं जबकि कूचबिहार उत्तर एवं दक्षिण, दिनहाटा और नाटाबाड़ी सामान्य सीटें हैं।
कूचबिहार भूटान के दक्षिण में पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा पर स्थित है। कूचबिहार आकर्षक मन्दिरों के लिए जाना जाता है। प्राचीन समय में यहां कोच राजाओं का शासन था और वह नियमित रूप से बिहार की यात्रा किया करते थे। इस कारण इसका नाम कूचबिहार पड़ा। मदन मोहन बाड़ी, कूचबिहार राजबाड़ी, अर्धनारीश्वर मन्दिर, कामतेश्वरी मन्दिर, सिद्धांत शिव मन्दिर यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। दिल्ली से इसकी दूरी 1,584.8 किलोमीटर है।
राजनीतिक इतिहास
1951 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 1962 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1962 के चुनाव में यहां से ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने जीत हासिल की। 1963 में हुए उप-चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की। 1967 के चुनाव में एक बार फिर ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने जीत दर्ज की। 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी। 1977 में चुनाव में यहां ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने जीत दर्ज की। 2009 तक इस सीट पर ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का कब्जा रहा। 2014 में पहली बार इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 2016 में हुए उपचुनाव में भी तृणमूल को जीत हासिल हुई। 2019 में इस सीट को भाजपा ने तृणमूल से छीन ली और निशीथ प्रमाणिक सांसद चुने गए
क्या है मतदाताओं का आंकड़ा?
कूचबिहार लोकसभा में सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। उनमें आठ लाख 69 हजार 220 पुरुष वोटर हैं। महिला मतदाताओं की संख्या नौ लाख 44 हजार 974 है। थर्ड जेंडर के मतदाता छह हैं। 2019 में कुल वोटरों की संख्या 15 लाख 24 हजार 683 थी। जिनमें से कुल पुरुष मतदाता सात लाख 78 हजार 609 और महिला मतदाता सात लाख 41 हजार 742 थीं। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 84.04 फीसदी था। भाजपा के निशीथ प्रमाणिक को सात लाख 31 हजार 594 वोट मिले थे।
2019 का जनादेश
2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा उम्मीदवार निशीथ प्रमाणिक ने जीत हासिल की। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के परेश अधिकारी को 54 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 2019 के चुनाव में कूचबिहार लोकसभा सीट पर 81.94 फीसदी मतदान हुआ था।