नई दिल्ली, 28 नवंबर। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को भी विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ गई। दोनों सदनों में अडानी रिश्वत और संभल मामले पर हुए हंगामे के चलते पहले कार्यवाही 12 बजे और बाद में दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

लोकसभा में आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और नांदेड़ सांसद रवीन्द्र चव्हाण ने सदस्यता की शपथ ली। इसके बाद कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दोपहर में दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा। नतीजतन, कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।

लोकसभा में आज ध्वनिमत से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बनी संसद की संयुक्त संसदीय समिति का कार्यकाल बजट सत्र के अंतिम दिन तक बढ़ाये जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल की ओर से रखा गया।

इस दौरान संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा की कार्यवाही नहीं चलने देने के लिए विपक्ष की निंदा की। उन्होंने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सभी सदस्य विधेयकों पर चर्चा करने और कामकाज को ठीक से चलने देने के लिए राजी हुए थे। हालांकि यहां हंगामा हो रहा है।

उन्होंने वक्फ संबंधित समिति का कार्यकाल बढ़ाये जाने के दौरान भी विपक्ष के हंगामा करने की निंदा की। उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से समिति का कार्यकाल बढ़ाये जाने पर सहमति बनी थी लेकिन प्रस्ताव पर मतदान के दौरान विपक्ष हंगामा कर रहा है।

इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष को संविधान की 75वीं वर्षगांठ का ध्यान दिलाते हुए कहा कि संविधान सभा में भी असहमति थी और बहस हुई हैं लेकिन इस तरह का हंगामा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान के 75 वर्षों के दौरान संविधान सभा में भी बहसें हुईं, असहमति और सहमति भी बनीं लेकिन सभी ने मर्यादित आचरण बनाए रखा। वे विपक्ष को हर मुद्दे पर पर्याप्त समय और अवसर देंगे।

इस बीच राज्यसभा में भी कार्यवाही बाधित रही। सुबह कार्यवाही की शुरुआत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम में चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश किया जिसे राज्यसभा ने स्वीकृत कर दिया ।

राज्यसभा की कार्यवाही को पहले 12 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। उसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। नतीजतन, सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

इस दौरान सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय भावना सदन से गूंजनी चाहिए। संसदीय व्यवधान कोई उपाय नहीं है बल्कि यह एक रोग है। यह हमारी नींव को कमजोर करता है और संसद को अप्रासंगिक बना देता है। हमें इसकी प्रासंगिकता सुनिश्चित करते रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब हम रचनात्मक चर्चा से भटक जाते हैं, तो हम उन लाखों लोगों के विश्वास का सम्मान करने में विफल हो जाते हैं, जो हमें अपनी लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के संरक्षक के रूप में देखते हैं।