कोलकाता, 9 मार्च। भारतीय संस्कृति संसद एवं भारतीय विद्यामंदिर के संयुक्त तत्वावधान में आज आयोजित थी “सेठ माधोदास मूँधडा स्मृति व्याख्यान माला “। इस व्याख्यान माला के द्वितीय आयोजन में बतौर प्रमुख वक्ता प्रखर चिंतक, विचारक, लेखक, कवि डॉ नंदकिशोर आचार्य ने बिल्कुल नए ढंग से साहित्य, संस्कृति और समाज विषय पर बहुत ही सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किया ।

डॉ. आचार्य ने कहा कि भारतीय परंपरा में संस्कृति शब्द एक नया प्रयोग है जिसे अंग्रेज़ी के ‘कल्चर ‘शब्द  का पर्याय मानकर चलाया जा रहा है। दरअसल इस शब्द को व्यंजित करने वाला शब्द है धर्म । सामाजिक जीवन में धर्म ही हमारा नियमन करता है ।साहित्य हमारी संवेदना को उद्बुद्ध करता है । हमारी समाज व्यवस्था में शास्त्रीय विधानों पर साहित्यिक दिशा निर्देश वरीयता प्राप्त करते हैं। उन्होंने महाभारत और रामायण के उदाहरण देते हुए माधोदास जी के साथ अपनी संपृक्ति का भी उल्लेख किया।

स्वागत भाषण संस्था अध्यक्ष डॉ बिट्ठलदास मूँधडा ने दिया। कार्यक्रम का संचालन संस्था की उपाध्यक्षा डॉ. तारा दूगड़ ने किया और धन्यवाद ज्ञापन किया कार्यक्रम के संयोजक प्रियंकर पालीवाल ने। कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री सुशांत सुरेका, राजेश दूगड़, शंकरलाल सोमानी,शशि कांकाणी, सुशीला केजड़ीवाल आदि सक्रिय थे।