कोलकाता, 6 सितम्बर  । अगलेसाल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट के बीच संभावित गठबंधन पर संशय गहराता जा रहा है। लेफ्ट फ्रंट के कई सहयोगी दलों ने सीट बंटवारे को लेकर सख्त आपत्ति जताई हैं।

वाममोर्चा के एक नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार वाम दलों के साथ तालमेल के बजाय मौन रहकर तृणमूल के पक्ष में अधिक झुकाव दिखाते रहे हैं। इसके पहले जब अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे तो खुलकर वाम दलों के साथ गठबंधन की वकालत करते थे, लेकिन शुभंकर सरकार की ओर से ऐसी कोई पहल नहीं हो रही है।

दूसरी ओर हाल ही में लेफ्ट फ्रंट की बैठक में कांग्रेस के साथ सीट समझौते पर चर्चा हुई। इस दौरान फ्रंट के दो अहम घटक दल—आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी—ने साफ तौर पर इस पर असहमति जताई। फॉरवर्ड ब्लॉक ने 34 सीटों की मांग रखी, जो उसने वर्ष 1977 में लड़ी थीं, जब वाममोर्चा पहली बार सत्ता में आया था और लगातार 34 साल तक शासन किया। वहीं, आरएसपी ने 23 सीटों पर दावा जताया।

सीपीआई ने इस मुद्दे पर अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाया। उनके प्रतिनिधि ने कहा कि वे कांग्रेस के साथ गठबंधन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनकी सीटों की संख्या ऐसी होनी चाहिए, जो सीपीएम से कम हो लेकिन फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी से ज्यादा रहे।

पश्चिम बंगाल विधानसभा की कुल सीटें 294 हैं। बैठक में मौजूद सूत्रों का कहना है कि अंतिम निर्णय पर पहुंचने के लिए और बातचीत की जरूरत है। लेफ्ट फ्रंट चेयरमैन बिमान बोस ने भी माना कि सीट बंटवारे का मामला अभी लंबी चर्चा मांगता है।

दूसरी ओर, राज्य कांग्रेस में भी इस गठबंधन को लेकर उत्साह की कमी दिख रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने कहा, “पश्चिम बंगाल में आम कार्यकर्ताओं का मूड यही है कि कांग्रेस 2026 का चुनाव अकेले लड़े। हालांकि, अंतिम फैसला अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के हाईकमान पर निर्भर करेगा।”

गौरतलब है कि कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट का चुनावी तालमेल वर्ष 2016 विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ था। यह क्रम 2021 विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव तक जारी रहा। हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कोई समझौता नहीं हुआ था।