कोलकाता, 02 मई। कुणाल घोष को तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से हटाए जाने के बाद राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। आखिर उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा, इस पर सवाल पूछे जा रहे हैं। इस बीच इस बात का खुलासा हुआ है कि कुणाल घोष को हटाने के लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनुमति ली गई थी।
कुणाल घोष पार्टी के सबसे बड़े प्रवक्ता थे और हर छोटे बड़े मुद्दे पर मीडिया में वहीं तृणमूल कांग्रेस का पक्ष रखते थे। उनके विवादित बयानों और नए तथा पुराने तृणमूल नेताओं के बीच तकरार वाली टिप्पणियों की वजह से पार्टी मुश्किल परिस्थिति में थी। एक दिन पहले मजदूर दिवस वाले दिन उन्हें पार्टी महासचिव के पद से हटा दिया गया। इसके साथ ही यह भी कह दिया गया है कि मीडिया उनसे तृणमूल से जुड़े किसी भी मुद्दे पर टिप्पणी नहीं लेगी। अगर लेगी तो कानूनी कार्रवाई होगी।
इसके बाद दावा किया जा रहा था कि सुदीप बनर्जी के दबाव में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कुणाल घोष को पार्टी के पद से हटाने की घोषणा की। अब खुलासा हुआ है कि यह फैसला लेने से पहले सीधे तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सूचित किया गया था।
गुरुवार को ही सुदीप बनर्जी और वेस्ट बंगाल फायरक्रैकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबला राय का एक चैट वायरल हुआ है जिसमें बाबला राय पूर्व मुख्य सचिव एच.के. द्विवेदी के जरिए भी ममता बनर्जी तक कुणाल घोष की शिकायत पहुंचने की बात कर रहे हैं। अब उन्हें पार्टी से भी हटाने की मांग तेज हो गई है।