
कोलकाता, 28 अप्रैल । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवा चुके पश्चिम बंगाल के 25 हजार 753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मियों में से 400 से अधिक ने सोमवार को दक्षिण कोलकाता के हाजरा क्रॉसिंग पर सड़क जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर अपनी समस्याएं रखने की मांग की।
मिली जानकारी के अनुसार, व्यस्त आशुतोष मुखर्जी रोड और हाजरा रोड चौराहे पर ट्रैफिक लगभग एक घंटे तक ठप रहा। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि वर्ष 2016 में डब्ल्यूबीएसएससी (पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग) की भर्ती परीक्षा पास करने के बावजूद उन्हें “दागी” करार दिया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि उन्हें या तो फिर से बहाल किया जाए या अदालत के निर्देश के अनुरूप कम से कम 31 दिसंबर तक कार्य करने की अनुमति दी जाए। पुलिस ने जब उन्हें मुख्यमंत्री के कालीघाट स्थित आधिकारिक आवास, जो घटनास्थल से लगभग एक किलोमीटर दूर है, की ओर बढ़ने से रोका तो झड़प की स्थिति बन गई। कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस वाहनों में बैठा कर हटाया गया, जबकि कुछ को सड़क किनारे ले जाकर समझाया गया।
एक महिला प्रदर्शनकारी सड़क पर लेटकर विरोध जताती रही और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हाथ जोड़कर विनती करने के बावजूद भी हटने से इनकार कर दिया। वहीं, एक अन्य प्रदर्शनकारी ने अपने ओएमआर शीट की फोटो दिखाते हुए एसएससी पर “फूट डालो और राज करो” की नीति अपनाने का आरोप लगाया।
एक शिक्षक ने कहा कि हमने 2016 से पहले एसएससी परीक्षा निष्पक्ष तरीके से पास की थी, इसके बावजूद हमें सामाजिक अपमान झेलना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि भ्रष्टाचार के कारण दागी और निर्दोष अभ्यर्थियों के बीच फर्क कर पाना मुश्किल है, फिर भी राज्य सरकार हमें अलग-थलग क्यों कर रही है?
दक्षिण 24 परगना जिले के एक पूर्व गैर-शिक्षण कर्मी बिपुल जाना ने कहा कि एसएससी ने जिन शिक्षकों को निर्दोष माना है, उनकी सूची जिला निरीक्षकों को भेजी है, लेकिन ग्रुप सी और ग्रुप डी कर्मचारियों के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई। हमने भी 2016 में ईमानदारी से नौकरी पाई थी, लेकिन अब भविष्य अंधकारमय है।
उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा घोषित अस्थायी भत्ते की भी आलोचना की। बिपुल जाना ने कहा कि ग्रुप सी के लिए 25 हजार और ग्रुप डी के लिए 20 हजार प्रति माह का भत्ता दिसंबर 31 तक देना नाकाफी है।
यह विरोध प्रदर्शन ‘यूनाइटेड टीचिंग एंड नॉन-टीचिंग एम्प्लॉयीज फोरम’ के नेतृत्व में आयोजित किया गया था, जो लगभग 40 मिनट तक चला। इसके बाद पुलिस ने सड़क को खाली करवाया।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में वर्ष 2016 के डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती पैनल को रद्द कर दिया है, जिससे 25 हजार 753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियां चली गईं। अदालत ने केवल “निर्दोष” शिक्षकों को 31 दिसंबर तक काम करने की छूट दी है, जबकि ग्रुप सी और ग्रुप डी कर्मचारियों को इस राहत से वंचित रखा गया है।