भाजपा ने लगाए आंकड़े छुपाने के आरोप

कोलकाता, 05 दिसंबर ।  राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट में कोलकाता लगातार तीसरे साल देश का सबसे सुरक्षित शहर बनकर उभरा है। महानगरों में प्रति लाख आबादी पर दर्ज संज्ञेय अपराध के सबसे कम मामले कोलकाता में आए।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, कोलकाता में 2022 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के 86.5 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद पुणे (280.7) और हैदराबाद (299.2) का स्थान रहा। संज्ञेय अपराध वे होते हैं जिनके लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और एसएलएल (विशेष और स्थानीय कानून) की धाराओं के तहत मामले दर्ज किए जाते हैं।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता में 2021 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के 103.4 मामले दर्ज किए गए थे, जो इस साल घटकर 86.5 हो गए। 2020 में यह आंकड़ा 129.5 था। वर्ष 2021 में, पुणे और हैदराबाद में प्रति लाख जनसंख्या पर क्रमशः 256.8 और 259.9 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए थे। 20 लाख से अधिक आबादी वाले 19 शहरों के बीच तुलना के बाद रैंकिंग जारी की गई।

कोलकाता में महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, कोलकाता में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि दर्ज की गई, क्योंकि 2021 में मामलों की संख्या एक हजार 783 थी जो 2022 में बढ़कर एक हजार 890 हो गई। कोलकाता में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर प्रति लाख जनसंख्या पर 27.1 थी, जो कोयंबटूर की 12.9 और चेन्नई की 17.1 से अधिक थी। इस साल, कोलकाता में हिंसक अपराधों में भी गिरावट देखी गई और हत्या के केवल 34 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल के 45 मामलों से कम हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता में 2022 में बलात्कार के 11 मामले दर्ज किए गए, इतनी ही संख्या 2021 में दर्ज की गई।

भाजपा ने उठाए सवाल

इस रिपोर्ट पर भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई ने सवाल उठाया है। बंगाल भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता समेत राज्य भर में होने वाले अपराधों का आंकड़ा छुपाया है। इसी वजह से एक ट्रिक के जरिए कोलकाता को सबसे सुरक्षित शहर के तौर पर दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर रोज कोलकाता समेत पूरे राज्य में हो रहे अपराध पूरा देश देख रहा है। इसके बाद भी इस तरह के आंकड़े हास्य जनक हैं।

उल्लेखनीय है कि एनसीआरबी की भारत में अपराध 2022 रिपोर्ट 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तथा केंद्रीय एजेंसियों से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं।