
खिड़की तोड़कर दो घंटे कार्निस पर बिताए
कोलकाता, 30 अप्रैल । कोलकाता के एक होटल में मंगलवार को हुए भीषण अग्निकांड में जहां 14 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, वहीं ओडिशा से घूमने आई एक महिला ने साहस और सूझबूझ से अपने पति और भतीजे की जान बचाई। होटल की खिड़की का कांच तोड़कर तीनों पांचवीं मंजिल की संकरी कार्निस (छज्जा) पर पहुंच गए और लगभग दो घंटे तक दमघोंटू धुएं के बीच वहीं खड़े रहे। बाद में दमकल कर्मियों ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला।
ओडिशा निवासी नेहा अग्रवाल अपने पति आकाश अग्रवाल, दो बेटों और भाई के दो बच्चों के साथ छुट्टियां बिताने कोलकाता आई थीं। हिन्दुस्थान समाचार को उन्होंने बताया कि 26 अप्रैल को परिवार ने मेछुआ के फलपट्टी इलाके के होटल में पांचवीं मंजिल पर दो कमरे किराए पर लिए थे। मंगलवार की रात सभी को ओडिशा लौटना था। चेक-आउट का समय होने पर नेहा के दो बेटे और एक भतीजा नीचे चले गए थे, जबकि नेहा, उनके पति आकाश और 15 वर्षीय भतीजा लोकेश कमरे (नं. 405) में पैकिंग कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि इसी दौरान होटल के रिसेप्शन से फोन आया कि नीचे आग लग गई है। तीनों ने कमरे का दरवाजा खोलकर बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन पूरा गलियारा काले धुएं से भर चुका था। मजबूरन उन्हें वापस कमरे में आकर दरवाजा बंद करना पड़ा। सांस लेने में परेशानी हो रही थी और बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था।
शौचालय की खिड़की बनी जीवनरक्षक रास्ता
नेहा की नजर शौचालय की उस छोटी खिड़की पर पड़ी, जिसमें ग्रिल नहीं लगी थी। तीनों ने मिलकर खिड़की का कांच तोड़ा और धीरे-धीरे बाहर निकलकर कार्निस पर खड़े हो गए। वहां से लगभग दो घंटे तक वह मदद का इंतजार करते रहे। नेहा बताती हैं कि वह दो घंटे जैसे जानलेवा थे, सांस रुक रही थी। लेकिन इस बात की तसल्ली थी कि हमारे परिवार के बाकी तीन सदस्य सुरक्षित हैं। सुरक्षित बचने के बाद से बुधवार दोपहर तक पूरा परिवार होटल के पास की एक दुकान में बैठा रहा। सभी की जान तो बच गई, लेकिन उनका सारा सामान अभी भी होटल के कमरे में ही पड़ा है। नेहा के मुताबिक उन्हें नहीं पता कि सामान कब मिलेगा और वे कब ओडिशा लौट पाएंगे।
उल्लेखनीय है कि होटल में आग मंगलवार शाम करीब 7:30 बजे लगी। दमकल की 10 गाड़ियों ने लगभग आठ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। होटल के 42 कमरों में उस समय 88 लोग मौजूद थे। अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है।