
कोलकाता, 25 अगस्त। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व मिदनापुर के खेजुरी में हुए डबल मर्डर मामले की जांच अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) को सौंपने का संकेत दिया। न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि फिलहाल मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को देने का उपयुक्त समय नहीं है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा – “सीबीआई अब गैलरी शो बन चुकी है। यदि यह मामला उन्हें सौंपा गया, तो यह भी गैलरी शो बन जाएगा।” अदालत इस पर मंगलवार को अंतिम आदेश जारी करेगी।
न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि मामले की जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी जाएगी, जिसका नेतृत्व पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) स्तर का अधिकारी करेगा। इसमें हत्या प्रकोष्ठ के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। यह एसआईटी अपराध अन्वेषण विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) की देखरेख में काम करेगी। अदालत ने जोर देकर कहा कि वर्तमान परिस्थिति सीबीआई जांच के लिए उपयुक्त नहीं है।
गौरतलब है कि 11 जुलाई को खेजुरी में मुहर्रम के अवसर पर एक मजहबी रैली आयोजित हुई थी। अगले दिन सुबह दो स्थानीय निवासी सुधीर पैक और सुजीत दास के शव स्थल के पास मिले। आयोजकों का दावा था कि दोनों की मौत करंट लगने से हुई, जबकि स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं ने आरोप लगाया कि उनकी हत्या मजहबी कारणों से की गई।
मामला तब और उलझ गया जब दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्टों में विरोधाभास सामने आया। पहली रिपोर्ट, जो पूर्व मिदनापुर के तमलुक मेडिकल कॉलेज में हुई, में मौत का कारण करंट लगना बताया गया। मृतकों के परिजनों ने इस रिपोर्ट को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। कोर्ट के निर्देश पर कोलकाता स्थित एसएसकेएम अस्पताल में दोबारा पोस्टमॉर्टम किया गया, जिसमें शवों पर चोट के निशान पाए गए और हत्या की आशंका गहराई।
विरोधाभासी रिपोर्टों पर नाराजगी जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति घोष ने सवाल उठाया कि क्या स्थानीय फॉरेंसिक विशेषज्ञों में अनुभव की कमी है या फिर वे किसी दबाव में काम कर रहे हैं।
इसी परिप्रेक्ष्य में अदालत ने कहा कि जांच को वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में अपराध अन्वेषण विभाग की विशेष जांच टीम को सौंपा जाना उचित होगा, न कि इस समय सीबीआई को।————-