
बेेंगलुरु, 18 जून । श्रम अधिकारों की समीक्षा के लिए कर्नाटक सरकार राज्य के रोजगार कानूनों में एक बड़े संशोधन पर विचार कर रही है।राज्य सरकार कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 की धारा 7 में संशोधन करके अधिकतम कार्य घंटों को मौजूदा 9 घंटों से बढ़ाकर 10 घंटे करने पर विचार कर रही है।
कर्नाटक सरकार रोजाना काम करने के घंटे को बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए वह कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रस्ताव लाई है। प्रस्ताव के अनुसार, अब अधिकतम दैनिक कार्य घंटे 9 से बढ़ाकर 10 किए जाएंगे और ओवरटाइम सहित कुल 12 घंटे तक काम की अनुमति होगी। इसके साथ ही तिमाही ओवरटाइम सीमा भी 50 से बढ़ाकर 144 घंटे की जा सकती है। सप्ताह में शनिवार और रविवार को अवकाश देने के संबंध में विचार किया जा रहा है।
इस संबंध में बुधवार को बेंगलुरू के विकास सौधा में उद्योग प्रतिनिधियों और श्रमिक संगठनों के साथ श्रम विभाग की बैठक हुई। बैठक में श्रम विभाग की सचिव रोहिणी सिंधुरी, विभिन्न व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के मालिक, श्रमिक नेता और श्रम विभाग के अन्य अधिकारी शामिल हुए।
श्रमिक संगठनों ने किया विरोध
श्रमिक संगठनों ने इस संशोधन पर कड़ी नाराजगी जताई है। श्रमिक संगठनों ने इसे असंवैधानिक बताया और कहा कि यह प्रस्ताव उचित और मानवीय कार्य परिस्थितियों के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह श्रम विरोधी कदम है। इससे पूरे दिन काम करने वाले श्रमिकों के स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक असर पड़ेगा। श्रमिक संगठनों की मांग है कि नियमित काम के घंटों की सीमा तय होनी चाहिए।
उद्योग जगत ने किया समर्थन
दूसरी ओर, उद्योग जगत के कुछ प्रतिनिधियों ने संशोधन के लिए समर्थन व्यक्त किया है। कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एफकेसीसीआई) ने इन प्रस्तावों का स्वागत किया है। एफकेसीसीआई के अध्यक्ष एमजी बालकृष्ण ने कहा कि यह मसौदा प्रगतिशील है और लंबे कार्य घंटों से उत्पादकता बढ़ेगी। होटल मालिक संघ के प्रतिनिधि पी.सी. राव ने भी कहा कि अगर सप्ताह में दो छुट्टियां दी जाती हैं, तो प्रतिदिन 10 घंटे काम करना सामान्य बात है। यह रोजगार की दुनिया में नए बदलावों के अनुकूल होने का एक उपाय है।
आगे क्या होगा?
इस संशोधन प्रस्ताव पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा होगी। जनहित और संगठनों से राय लेने के बाद इस प्रस्ताव के कानून बनने की संभावना है।
इन राज्यों में हो चुका है लागू
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा हैै, जिसमें कहा गया है कि इस तरह के संशोधन पहले ही छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में लागू किए जा चुके हैं।
जानकारों के अनुसार यह संशोधन प्रस्ताव श्रमिकों के अधिकारों और उद्योग की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। हालांकि, इसे लागू करने से पहले श्रमिकों के आधार और जनमत को ध्यान में रखना भी आवश्यक होगा।
संशोधन प्रस्ताव के मुख्य बिंदु
प्रतिदिन अधिकतम कार्य घंटे: 10 घंटे
ओवरटाइम (ओटी): अधिकतम 12 घंटे प्रतिदिन
तीन माह में ओ.टी. की अधिकतम सीमा: 50 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे की गई
सप्ताह में शनिवार और रविवार को अवकाश देने के संबंध में विचार