किशोर न्याय अधिनियम पर राष्ट्रीय परामर्श बैठक का आयोजन

रांची 18 मार्च। रांची की न्यायिक अकादमी में रविवार को किशोर न्याय अधिनियम और इससे संबंधित कानूनों पर एक दिवसीय विशेष परामर्श बैठक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने की। इस बैठक का उद्देश्य किशोर न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी, संवेदनशील और न्यायपूर्ण बनाने के लिए हितधारकों के बीच संवाद स्थापित करना था।

मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इस अवसर पर कहा कि जब हम हर बच्चे को न्याय, संरक्षण और सम्मान देते हैं, तभी एक संवेदनशील और सशक्त समाज की नींव रखी जाती है। किशोर न्याय अधिनियम इसी दिशा में एक सशक्त कदम है, जो न केवल बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि उन्हें पुनर्वास एवं पुनर्संवर्धन के माध्यम से गरिमामयी जीवन की ओर अग्रसर करता है।

कार्यक्रम में बाल न्यायालयों के न्यायाधीशों, प्रधान मजिस्ट्रेटों, किशोर न्याय बोर्ड ( जेजेबी) और चाइल्ड वेलफेयर कमिटी कल्याण ( सीडब्लूसी) के सदस्यों, विशेष किशोर पुलिस इकाई            (एसजेपीयू) के अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई ( डीसीपीयू) के पदाधिकारी सहित अनेक महत्वपूर्ण हितधारकों की उपस्थिति रही।

विशिष्ट अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति अनुभा रावत चौधरी, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय उपस्थित रहीं। उन्होंने किशोर न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता और उसमें सुधार की संभावनाओं पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में न्यायिक अकादमी के निदेशक राजेश शरण सिंह, संयुक्त निदेशक डॉ. संध्या मित्रा बारिक ने भी बाल संरक्षण प्रणाली को सशक्त बनाने के विभिन्न पहलुओं पर विचार साझा किए।

बैठक में उपस्थित सभी विशेषज्ञों और अधिकारियों ने किशोर न्याय प्रणाली की चुनौतियों, सुधारों और भविष्य की दिशा पर उपयोगी संवाद किया। यह परामर्श बैठक बाल अधिकारों की रक्षा और न्यायिक प्रणाली के उन्नयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।

उल्लेखनीय है कि हमारे देश में किशोर न्याय अधिनियम बच्चों के संरक्षण और देखभाल के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। यह अधिनियम उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो या तो कानून का उल्लंघन करने वाले हैं या जिन्हें देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है।