कोलकाता, 01 अगस्त । तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदू शेखर राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जूट क्षेत्र में छाए संकट को दूर करने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है। ये लाखों किसानों, मिल मजदूरों और अन्य हितधारकों को प्रभावित कर रहा है।
पीएम को लिखे पत्र में, राय ने कच्चे जूट के गिरते दामों पर प्रकाश डाला है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ गए हैं। इससे किसानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि बी ट्विल बैग्स (एक प्रकार के बोरे) की सरकारी खरीद में कमी, चीनी उद्योग द्वारा अनिवार्य जूट पैकेजिंग मानदंडों का पालन न करना और वस्त्र मंत्रालय की उदासीनता जूट क्षेत्र में संकट के कारण हैं।
राय ने मोदी से इन मुद्दों में हस्तक्षेप करने की अपील की है ताकि जूट क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों को बचाया जा सके। देश में अनुमानित चार करोड़ किसान और 3.5 लाख जूट मिल मजदूर, जिनमें से अधिकांश पश्चिम बंगाल में हैं, इस उद्योग पर निर्भर हैं।
राज्यसभा सांसद ने समय पर हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया, जो बाजार को स्थिर करने, आजीविका को सुरक्षित करने और जूट मिलों की परिचालन क्षमता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। राय ने बुधवार को लिखे अपने पत्र में चेतावनी दी कि हजारों जूट मिल मजदूरों और किसानों की भलाई, साथ ही जूट उद्योग की अखंडता और स्थिरता, पीएम की त्वरित कार्रवाई पर निर्भर करती है।
भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) ने भी मंगलवार को नई दिल्ली में हुई 32वीं स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की बैठक में कई ज्वलंत मुद्दों पर प्रकाश डाला। आईजेएमए के उपाध्यक्ष ऋषभ काजारिया ने कहा कि जूट उद्योग 55 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहा है, जिससे 50 हजार से अधिक मजदूर प्रभावित हो रहे हैं। जूट बैग्स की मांग 2024-25 के लिए 30 लाख बेल तक गिरने की संभावना है।