शनिवार से सामान्य होंगी चिकित्सा सेवाएं
कोलकाता, 20 सितंबर। आर.जी. कर अस्पताल में महिला डॉक्टर की संदिग्ध मौत के बाद 42 दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल आखिरकार आंशिक रूप से समाप्त हो गई है। आंदोलनकारी डॉक्टरों ने बताया कि वे शनिवार से आपातकालीन सेवाएं फिर से शुरू करेंगे, हालांकि आंदोलन जारी रहेगा।
पिछले नौ दिनों से डॉक्टर सॉल्टलेक स्थित स्वास्थ्य भवन के सामने धरने पर बैठे थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मुख्य सचिव मनोज पंत से हुई बैठकों के बाद, डॉक्टरों ने आंशिक रूप से काम पर लौटने का निर्णय लिया है।
गुरुवार रात को स्वास्थ्य भवन के सामने धरना मंच से जूनियर डॉक्टरों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि शुक्रवार से उनकी हड़ताल आंशिक रूप से समाप्त होगी। हालांकि, उनका आंदोलन अभी भी जारी रहेगा। धरना मंच शुक्रवार को हटा लिया जाएगा, और शाम तीन बजे जूनियर डॉक्टर सीबीआई के पूर्वी क्षेत्रीय मुख्यालय सीजीओ कॉम्प्लेक्स तक एक रैली करेंगे। शनिवार से अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं में डॉक्टर फिर से योगदान देंगे।
आंदोलनकारियों में से एक, देवाशीष हालदार ने कहा कि हम शुक्रवार को रैली के बाद अपने-अपने कॉलेजों में वापस जाएंगे और विभागीय आधार पर एसओपी तैयार करेंगे। जिन स्थानों पर अत्यधिक आवश्यकता होगी, हम केवल उन्हीं जगहों पर काम करेंगे। बाकी जगहों पर हमारी हड़ताल जारी रहेगी। जरूरत पड़ने पर हम फिर से पूर्ण हड़ताल पर भी लौट सकते हैं।
जूनियर डॉक्टरों की पांच मुख्य मांगों में से कई पर राज्य सरकार से चर्चा के बाद कुछ पर सहमति बन गई है। डॉक्टरों ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल और स्वास्थ्य अधिकारियों के स्थानांतरण को अपनी जीत के रूप में देखा है। साथ ही संदीप घोष और अभिजीत मंडल की गिरफ्तारी को भी आंदोलन की सफलता माना जा रहा है। हालांकि, जब तक महिला डॉक्टर की मौत की न्यायिक जांच और दोषियों को सजा नहीं मिल जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
जूनियर डॉक्टरों की पांच प्रमुख मांगों में अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा और महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के आरोपों की निष्पक्ष जांच शामिल है। बुधवार को नवान्न में मुख्य सचिव के साथ इन मांगों पर बैठक हुई थी, लेकिन डॉक्टरों ने बैठक के बाद अपनी नाराज़गी जाहिर की थी क्योंकि मुख्य सचिव ने बैठक की कार्यवाही पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसके बाद गुरुवार को मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को एक पत्र भेजा, जिसमें अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था और चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण दिया गया।