कोलकाता, 20 मार्च । जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) परिसर में पुलिस चौकी स्थापित करने के कोलकाता पुलिस के प्रस्ताव को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग भी छात्रों के साथ इस प्रस्ताव के खिलाफ खड़ा हो गया है।

जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जेटीए) ने गुरुवार को इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय की परंपरा के खिलाफ है। संगठन ने छात्रों की चिंताओं का समर्थन करते हुए दावा किया कि यह चौकी कैंपस पर लगातार निगरानी रखने के उद्देश्य से बनाई जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिक्षकों के समर्थन से प्रशासन के लिए इस प्रस्ताव को लागू करना मुश्किल हो सकता है। इससे पहले, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), जो माकपा की छात्र इकाई है, ने भी इस चौकी का पुरजोर विरोध करने की घोषणा की थी। एसएफआई के पश्चिम बंगाल राज्य सचिव देबांजन देय ने गुरुवार को कहा, “हम मानते हैं कि चौकी तनाव को खत्म करने के बजाय उसे बढ़ाने के लिए बनाई जा रही है। यही राज्य प्रशासन की असली मंशा है।”

इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव और बढ़ गया है, क्योंकि हाल ही में राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर पुलिस का यह कदम कानूनी नियमों का उल्लंघन करेगा, तो वे बतौर कुलाधिपति चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन को तय करना है, लेकिन उनका निर्णय मौजूदा नियमों के अनुरूप होना चाहिए। अगर कोई अनियमितता हुई तो मैं हस्तक्षेप करूंगा।”

दरअसल, पुलिस चौकी स्थापित करने का प्रस्ताव इसी महीने की शुरुआत में कैंपस के भीतर हुई झड़प के बाद सामने आया था। झड़प तब हुई जब राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु की कार परिसर में प्रवेश करने के बाद रोक दी गई और वहां हंगामा हो गया।

छात्र तत्काल छात्र संघ चुनाव कराने की मांग कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि विरोध के कारण बसु जब कैंपस छोड़ने लगे, तो उनकी गाड़ी ने दो प्रदर्शनकारी छात्रों को टक्कर मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

विरोध प्रदर्शन के दौरान मंत्री बसु को भी हल्की चोटें आईं, जिसके बाद उन्हें एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां से उन्हें कुछ समय बाद छुट्टी दे दी गई।