
नई दिल्ली, 07 अप्रैल । जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने संसद में वक्फ संशोधन कानून 2025 के पारित होने की कड़ी निंदा करते हुए इसे देश में अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए एक काला अध्याय बताया है।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मुख्यालय में सोमवार को मासिक प्रेस कांफ्रेंस में जमाअत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वक्फ कानून धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है। यह कानून इसलिए भेदभावपूर्ण है, क्योंकि यह मुसलमानों के धर्मदान प्रबंधन में स्वायत्तता को खत्म करता है, जबकि अन्य समुदायों के धार्मिक ट्रस्ट स्वायत्त हैं। इस कानून से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप काफी बढ़ जाएगा। यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 का स्पष्ट उल्लंघन है तथा मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में राज्य के अनुचित हस्तक्षेप का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि संसदीय बहस के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भ्रामक तर्क पेश किये। वक्फ बोर्ड, चैरिटी कमिश्नर के समकक्ष नहीं हैं, जैसा कि लोकसभा में झूठा दावा किया गया है। कई राज्यों में हिंदू और सिखों के लिए विशेष कानून हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि विनियामक और पर्यवेक्षी प्राधिकरण विशेष रूप से संबंधित धार्मिक समुदायों के पास हों। सरकार ने इस संशोधन के लिए बार-बार कुप्रबंधन, कानूनी विवाद और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग का हवाला दिया है। विधेयक में इन मुद्दों के समाधान के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हैं। गैर-मुस्लिम सदस्यों को जोड़ने और सरकार द्वारा नामित अधिकारियों को नियंत्रण सौंपने से समस्या का कोई समाधान नहीं होगा।