नई दिल्ली, 4 मई । विदेश मंत्री डॉ सुब्रमण्यम जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भारत को लेकर दिए गए बयान का खंडन किया है। बाइडेन ने भारत को ज़ेनोफ़ोबिक कहा था। इस पर जयशंकर ने कहा कि भारत खुले विचारों वाले लोगों का देश है और अपने आतिथ्य सत्कार के लिए जाना जाता है।

पिछले 2 अप्रैल को बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका अपनी धरती पर अप्रवासियों का स्वागत करता है इसलिए हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ती है। वहीं भारत, चीन, जापान और रूस की ज़ेनोफोबिक प्रकृति उनकी आर्थिक समस्याओं के लिए जिम्मेदार है। यह देश अधिक आप्रवासन स्वीकार करें तो यह आर्थिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

इस पृष्ठभूमि पर एक न्यूज कार्यक्रम में एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया के इतिहास में भारत हमेशा से जरूरतमंदों की मदद करने वाला देश रहा है। विभिन्न समुदायों के लोग भारत आते हैं और यही बात हमारे देश को विशेष बनाती है। दुनिया के इतिहास में भारत हमेशा से जरूरतमंदों की मदद करने वाला देश रहा है। भारत खुले विचारों वाले लोगों का देश है और अपने आतिथ्य सत्कार के लिए जाना जाता है।

सीएए के आलोचकों को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि सीएए के कारण इस देश में 10 लाख मुसलमान अपनी नागरिकता खो देंगे। उनसे जवाब क्यों नहीं लिया जाता? क्या अभी तक किसी ने अपनी नागरिकता खोई है?

उन्होंने पश्चिमी मीडिया पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एक खास विचारधारा से प्रभावित पश्चिमी मीडिया का एक समूह भारत को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है। इस वर्ग का सदैव मानना रहा है कि विश्विक नैरेटिव पर उसका नियंत्रण होना चाहिए। ऐसे लोगों ने कई मामलों में अपने राजनीतिक हित भी उजागर किये हैं।