बांग्‍लादेश में हिंसा पर बुद्धिजीवियों ने व्‍यक्‍त किए विचार

ओंकार समाचार
कोलकाता, 13 अगस्‍त। बांग्‍लादेश के वर्तमान हालात को लेकर भारतीय भाषा परिषद सभागार में सेंटर ऑफ पीस एंड प्रोग्रेस के बैनर तले ओ०पी शाह और प्रहलाद रॉय गोयनका की ओर से भारतीय बु‌द्धिजीवियों की सभा आयोजित की गई।
इस सभा में पूर्व सांसद मो. सलीम प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मो.सलीम ने इस अवसर पर भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाए। उन्‍होंने कहा कि पड़ौसी देशों के साथ हमारे संबंध ठीक नहीं है। यदि हम अपने क्षेत्र में ही गुरू नहीं हो सकते तो विश्‍वगुरू कैसे बन सकते हैं। बांग्‍लादेश में पनपे भारत विरोधी आक्रोश को उन्‍होंने मोदी सरकार की विफलता बताया।
मो. सलीम ने बांग्‍लादेश में अल्‍पसंख्‍यकों पर और हिंदू मंदिरों पर हमलों की निंदा की। उन्‍होंने कहा कि हिंसा हर हाल में बुरी है। हिंसा को न्‍यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।
प्रह्लादराय गोयनका ने कहा कि भारत और बांगलादेश दोनों बहुत से मामलों में एक दूसरे पर निर्भर हैं। दोनों के हित एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। गोयनका ने हाल ही में वहां हो रही हिंसक घटनाओं को दुखद बताते हुए कहा कि समाज कंटक हर जगह होते हैं, हर समाज , हर देश में होते हैं। उनका उन्‍मूलन होना चाहिए।
प्रो० रतन खासनवीस ने कहा कि बांग्लादेश में राष्ट्रवाद के साथ इस्लामीकरण भी बढ़ा। बाद में बंगाली क्षेत्रीयता बढने से बांग्लादेश बना। अब्दुल अजीज ने अपनी बात आगे बढाते हुए कहा कि पंजाबी हुक्मरानों के जुल्म के कारण बांग्लादेश बना। इन परिवर्तनों को लाने में अवामी लीग आगे रही। आज जो, ख़बरें आ रही हैं वे सही भी हैं और नहीं भी ।
भूतपूर्व सेनाधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश को आजाद कराने में हमारे चार हजार जवान शहीद हुए। प्रो० ओ.पी. मिश्र कहा कि पिछले दो बार सरकार शेख हसीना की रही। बीएनपी और खालिदा जिया की सरकार कभी भारत समर्थक नहीं रहीं। माधवी अग्रवाल ने महिलाओं के कपड़ों के प्रदर्शन की निंदा की।
इमरान ने कहा कि बाँग्लादेश का लोकतांत्रिक देश बने रहना जरूरी है।सरदार अली साह, गोपा मुखर्जी, अनिर्बान सामंत, फादर सुनील रेजरियो, सीताराम अग्रवाल, जीतेन्द्र जीतांशु आदि ने भी अपने विचार रखे।