
रांची, 8 अगस्त । संस्कृत भारती रांची और संस्कृत विभाग, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को संस्कृत सप्ताह शुरू हुआ।
इस अवसर पर संस्कृत गौरव यात्रा आयोजित की गई। इसमें डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं के अलावा स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, रांची विश्वविद्यालय, रांची संस्कृत विभाग, मारवाड़ी महाविद्यालय, संस्कृत विभाग और महिला महाविद्यालय की छात्र-छात्राएं शामिल हुईं। इस अवसर पर संस्कृत भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ दीपचंद राम कश्यप ने कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति का मूल आधार है। संस्कृत के बिना मानवजीवन सुसंस्कृत नहीं हो सकता है। संस्कृत हमारी लोक भाषाओं में समाहित है चाहे वह नागपुरी हो, खोरठा हो या झारखंड में बोली जाने वाली अन्य कोई भाषा। हम जाने अनजाने संस्कृत शब्दों का ही प्रयोग करते हैं। सभी भाषाओं के मूल में संस्कृत है। हमारे जीवन के सभी संस्कारों के मूल में संस्कृत है। इसलिए संस्कृत के उत्थान के लिए समाज को समर्पित होना चाहिए।
संस्कृत हमारी संस्कृति की संवाहिका : डॉ शैलेश
इस अवसर पर संस्कृत भारती, झारखंड के विद्वत् परिषद के संयोजक डॉ शैलेश कुमार मिश्र ने कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति की संवाहिका है। संस्कृत हमारे संस्कारों का प्रतिबिंब है। इसके बिना हमारे कोई भी सांस्कृतिक कार्य संपन्न नहीं हो सकते। संस्कृत भारती के प्रांत महाविद्यालय कार्य प्रमुख डॉ जगदंबा प्रसाद सिंह ने शोभायात्रा का नेतृत्व करते हुए कहा कि जनमानस के सांस्कृतिक उत्थान के लिए संस्कृत की आवश्यकता है। संस्कृत में समस्त शास्त्र, समस्त ज्ञान विज्ञान सन्निहित हैं। इसलिए संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। मारवाड़ी महाविद्यालय के प्राध्यापक और संस्कृत भारती के रांची विभाग प्रमुख विभाग डॉ राहुल कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी वाणी का संस्कार करती है और संस्कृत के माध्यम से हम अपनी संस्कृति को जान पाते हैं।
इस अवसर पर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ श्रीमित्रा, जया कुमारी, मनीष बोदरा और विश्वविद्यालय महाविद्यालयों के विद्यार्थी उपस्थित थे।