नयी दिल्ली 27 अक्टूबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि समुद्री क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से मुक्त रखने के लिए त्वरित, सक्रिय और शीघ्र कदम उठाने की जरूरत है।
श्रीमती मुर्मु ने शुक्रवार को चेन्नई में भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु आपदा इस समय की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है जिसमें तापमान और समुद्र का बढ़ता स्तर शामिल है। समुद्री क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभावों से मुक्त रखने के लिए त्वरित, सक्रिय और शीघ्र कार्यवाही की जरूरत है, जिससे विशेषकर कमजोर समुदायों के बीच आजीविका बाधित होने का खतरा उत्पन्न न हो सके। उन्होंने कहा कि छात्रों की व्यावसायिक जिम्मेदारी ही नहीं अपितु इकोसिस्टम को मजबूत बनाए रखने के प्रति भी उनका दायित्व है। उन्होंने कहा कि नौवहन सहित समुद्र संबंधी दीर्घकालिक और कुशल गतिविधियों का संचालन समय की मांग है। साथ ही स्वस्थ इकोसिस्टम के लिए समुद्र में अधिक अनुकूल और हरित कार्यप्रणालियों को अपनाना भी आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा और 1382 अपतटीय द्वीपों के साथ भारत की समुद्री स्थिति महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों के रणनीतिक महत्व के अलावा, भारत के पास 14,500 किलोमीटर लंबे संभावित जलमार्ग हैं। देश का समुद्री क्षेत्र इसके व्यापार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि देश का 95 प्रतिशत व्यापार मात्रा के अनुसार और 65 प्रतिशत व्यापार मूल्य के अनुसार समुद्री परिवहन के माध्यम से किया जाता है। तटीय अर्थव्यवस्था लाखाें मछुआरों का भरण-पोषण करती है और लगभग 2,50,000 मछली पकड़ने वाली नौकाओं के बेड़े के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस क्षेत्र की क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने से पहले हमें कई चुनौतियों से गुजरना होगा। उन्होंने कहा कि गहराई पर प्रतिबंध के कारण बहुत सारे कंटेनर जहाजों के माल को पास के विदेशी बंदरगाहों पर ले जाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय बंदरगाहों की परिचालन दक्षता को बदलते हुए समय में वैश्विक औसत बेंचमार्क से तालमेल बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय बंदरगाहों को अगले स्तर पर पहुंचने से पहले बुनियादी ढांचे और परिचालन संबंधी चुनौतियों का समाधान करना होगा। उन्होंने कहा कि सागरमाला कार्यक्रम “बंदरगाह विकास” से “बंदरगाह आधारित विकास” की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक होने के बावजूद, भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय ने अपनी योग्यता सिद्ध की है। इसमें समुद्री शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण, शैक्षणिक भागीदारी और क्षमता निर्माण के लिए विश्व स्तर पर उत्कृष्टता केंद्र के रूप में निखरने की क्षमता है, साथ ही इसमें समुद्री कानून, महासागर प्रशासन और समुद्री विज्ञान जैसे संबद्ध विषयों में अपनी विशेषज्ञता का विस्तार करने की भी संभावना है।