कोलकाता, 7 दिसंबर। व्यक्ति अपने व्यसन-नशे को सही ठहराने के लिए धार्मिकता का आश्रय ले लेता है,जैसे भैंरो जी के नाम पर कुत्ता पालने लगता है। अपने आलस्य और कुतर्क से लोग रसोईघर को अपवित्र करने लगे हैं ।रसोईघर में बिना स्नान करके चप्पल सहित प्रवेश कर रहे हैं। घर-घर में जो कलह हो रहा है,इसी का परिणाम है।
हमें सतोगुण से युक्त आहार करना चाहिए न कि राजसिक और तामसिक। सात्विक आहार से प्रभु स्मरण सहज होने लगता है।भगवान पर जो विश्वास करता है उसका कार्य प्रभु-कृपा से सहज रूप से हो जाता है।
मां यशोदा भगवान कृष्ण को ओखल में रस्सी से बांधते-बाधते जब थक जाती है तब कृष्ण मां के प्रेम और परिश्रम से स्वयं बंध जाते हैं। भगवान कृष्ण ओखल लीला के माध्यम से यमलार्जुन का उद्धार करते हैं।
ये बातें अनुपसरिया परिवार के तत्वावधान में प्रवचन करते हुए स्वामी त्र्यंबकेश्वर महाराज ने सीबी-58 साल्टलेक में कही।उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति ऊपर से शांत – सौम्य दिखता है ,इसकी गारंटी नहीं कि वह भीतर से शांत हो।जैसे समुद्र हवा के न बहने से शांत दिखता है,उसमें लहरे नहीं उठती पर उसके भीतर मगरमच्छ और हिंसक जीव-जंतु शोर का सुनाई देता है।ठीक इसी तरह बाहर से शांत दिख रहे मनुष्य के भीतर सांसारिक इच्छाएं शोर मचाए रखती है।
बड़ी बात है यह है कि हमारी सांसारिक चाह में हम प्रभु-नाम न भूलें ,एक ही इच्छा रहे भगवान का स्मरण और दर्शन होता रहे। अपनी इच्छाओं को प्रभु – चरणों में समर्पित करने से जीवन में सद्गुण आ जाता है। इस अवसर पर सत्यनारायण तिवाड़ी ने संगीतमय भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया।
श्रद्धालुओं का स्वागत डालूराम अग्रवाल,पितरचंदअग्रवाल, विजय अग्रवाल, विनय अग्रवाल, शिवकुमार अग्रवाल, गोपाल कृष्ण अग्रवाल, सुशील अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, समीतेश अग्रवाल सहित अनुपसरिया परिवार के सदस्यों ने किया।
इस अवसर पर गीताप्रेस के ट्रस्टी केशोराम अग्रवाल, परीक्षित अग्रवाल, सांवरमल अग्रवाल, मुरारीलाल केडिया, विश्वनाथ गौरीसरिया, सुरेंद्र अग्रवाल, महेश भुवालका, सावित्री-महावीर प्रसाद रावत सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।