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चेन्नई, 16 फ़रवरी ।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रो. आर. मनिका वासगाम का शनिवार को निधन हो गया। 91 वर्षीय प्रो. मनिका ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इसरो के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक रहे प्रो. आर. मनिका वासगाम ने अन्ना विश्वविद्यालय, तमिलनाडु के कुलपति (वीसी) के रूप में भी कार्य किया। वह तत्कालीन तमिलनाडु सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के संस्थापक-निदेशक भी रहे हैं। उन्होंने तिरुवनंतपुरम के थुंबा में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दी। प्रो. वासगाम पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने वाले इसरो वैज्ञानिकों में सबसे कम उम्र के थे। वह भारत के भास्कर उपग्रह के परियोजना निदेशक और कोयंबटूर के पीएसजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रतिष्ठित छात्र रहे हैं।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की अगर हम बात करें तो रॉकेट और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ, प्रो. वासगाम ने भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान, एसएलवी-3 के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस प्रकार भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में उनका योगदान चार दशकों से अधिक समय तक रहा। इस दौरान उन्होंने डॉ. विक्रम साराभाई और डॉ. सतीश धवन सहित अन्य प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम किया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए प्रो. वासगम का निधन भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण क्षति है और उनकी विरासत वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
उनके निधन पर इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा, “भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक सच्चे अग्रदूत रहे प्रो. आर. मनिका वासगम के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं।भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं के विकास में उनका योगदान अतुलनीय है और उनकी विरासत हमें हमारे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मार्गदर्शन करती रहेगी।”
इसरो के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रो. आर. मनिका वासगम के सहयोगी डॉ. टीआर गोपालकृष्णन नायर ने कहा, “वर्तमान परिस्थितियों में अंतरिक्ष कार्यक्रम को सर्वश्रेष्ठ बनाने की उनकी सोच हमेशा आगे रही है। चुनौतियां कभी भी बाधक नहीं हुई और उनके इस अद्भुत व्यक्तित्व की विशेषता ने इसरो में प्रौद्योगिकी समाधान का एक शानदार योगदान दिया। वह एक सचमुच प्रतिभाशाली वैज्ञानिक और शिक्षाविद के साथ-साथ व्यक्तिगत तौर पर दयालु हृदय वाले सज्जन और मानवीय दृष्टिकोण वाले व्यक्ति थे।”