
गांधीनगर, 20 जून । अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ृकी वैश्विक एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने 45 मिनट का विशेष अभ्यास क्रम तैयार किया गया है, जिसे कॉमन योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) कहा जाता है। इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य नागरिकों के स्वस्थ जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देना है।
पूरी दुनिया 21 जून को इस सामान्य योग अभ्यास क्रम के अनुसार योग करेगी, ऐसे में यह जानना उपयोगी है कि इसमें क्या-क्या शामिल है, इससे क्या लाभ होंगे तथा किस क्रम में सूक्ष्म व्यायाम, आसन, प्राणायाम, ध्यान, शांति पाठ और संकल्प करना है।
कॉमन योग प्रोटोकॉल के प्रमुख घटक: कॉमन योग प्रोटोकॉल की शुरुआत संघटन मंत्र के उच्चारण से होती है। इसके बाद निम्नलिखित अभ्यास शामिल होते हैं:
1. सूक्ष्म व्यायाम
इसमें गर्दन, कंधे, कमर और घुटनों के हल्के व्यायाम शामिल होते हैं। इससे शरीर के जोड़ मजबूत और लचीले बनते हैं। रक्त संचार में सुधार होता है जिससे शरीर को ऑक्सीजन की बेहतर आपूर्ति मिलती है और मस्तिष्क को शांति मिलती है। यह विशेष रूप से वृद्ध, कमजोर और लंबे समय तक बैठकर कार्य करने वालों के लिए लाभकारी होता है।
2. आसन
आसनों में खड़े होकर, बैठकर, पेट के बल और पीठ के बल लेट कर किए जाने वाले आसन शामिल होते हैं। जैसे:
ताड़ासन – लंबाई बढ़ाने में सहायक
वृक्षासन – संतुलन और एकाग्रता के लिए
भुजंगासन – पीठ दर्द में लाभकारी
पादहस्तासन – लचीलापन बढ़ाने के लिए
पवनमुक्तासन – पाचन और गैस की समस्याओं में उपयोगी
सेतुबंधासन – थायरॉइड, हृदय और रक्त प्रवाह में लाभदायक
शवासन – तनाव दूर करने में सहायक
इन आसनों से शरीर मजबूत बनता है, जोड़ों, दिल और फेफड़ों को मजबूती मिलती है, वज़न नियंत्रण में रहता है, चर्बी कम होती है और हार्मोन संतुलन में सुधार होता है। मानसिक शांति, एकाग्रता और नींद की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
3. प्राणायाम
इस खंड में भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम विलोम, शीतली, भ्रामरी प्राणायाम, और ध्यान का अभ्यास किया जाता है।
इसके लाभों में शामिल हैं:
फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि
हृदय व रक्त संचार प्रणाली में सुधार
पाचन तंत्र और रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि
तनाव, चिंता, डिप्रेशन में कमी
मानसिक शांति, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार
अनिद्रा में राहत और मस्तिष्क में सेरोटोनिन (सुखद हार्मोन) के स्तर में वृद्धि
4. ध्यान
ध्यान योग का गहरा और शांति प्रदान करने वाला अभ्यास है। इससे शरीर, मन और आत्मा – तीनों को लाभ होता है। प्रतिदिन ध्यान के लिए थोड़ा समय निकालने से जीवन में स्थायी और गहरा परिवर्तन आता है। यह चिंता, डिप्रेशन, मानसिक थकावट, नकारात्मक विचारों और तनाव को कम करता है। एकाग्रता और आध्यात्मिक शांति मिलती है। यह विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी है। गुस्सा, ईर्ष्या और डर जैसी भावनाएं कम होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है। यहां तक कि हृदयाघात का खतरा भी घटता है।
पूरे 45 मिनट का कार्यक्रम इस प्रकार है: 1 मिनट – प्रारंभिक प्रार्थना, 6 मिनट – सूक्ष्म व्यायाम, 25 मिनट – योगासन, 12 मिनट – प्राणायाम, ध्यान और संकल्प, 1 मिनट – शांति मंत्र।