भारत ने 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा का लक्ष्य रखा है, प्राइवेट प्लेयर्स के लिए क्षेत्र खोला

भविष्य को ऊर्जा प्रदान करने के लिए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा

नई दिल्ली, 27 मार्च । “जब होमी भाभा ने भारत के परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत की थी, तो भारत के कथित छिपे हुए डिजाइनों के बारे में व्यापक संदेह था और होमी भाभा ने यह कहकर इस भ्रम को दूर करने का प्रयास किया था कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए समर्पित है। आज होमी भाभा की प्रतिज्ञा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पर्यावरण अनुकूल स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से भारत की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए “परमाणु मिशन” की शुरुआत करके सही साबित किया है।”

यह बात आज राज्य सभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कही। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मिशन भारत के ऊर्जा इतिहास में एक निर्णायक क्षण होगा, जो परमाणु अग्रणी होमी भाभा के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एक अभूतपूर्व परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा की है जिसका उद्देश्य स्वच्छ और स्थिर ऊर्जा स्रोत सुनिश्चित करते हुए भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल ही में घोषित परमाणु मिशन का लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावाट (जीडब्ल्यू) परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करना है, जो भारत की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 10 प्रतिशत है। इसे प्राप्त करने के लिए सरकार ने परमाणु क्षेत्र को निजी खिलाड़ियों के लिए खोलकर एक साहसिक कदम उठाया है। यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, जो पुरानी वर्जनाओं को तोड़ता है। परमाणु कार्यक्रम पारंपरिक रूप से गोपनीयता के पर्दे के पीछे संचालित होता रहा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमने अब निजी क्षेत्र की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया है। मिशन का मुख्य फोकस छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) का विकास है, जिनकी क्षमता 16 मेगावाट से लेकर 300 मेगावाट तक है। ये रिएक्टर भारत की विविध ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं, जिसमें दूरदराज के क्षेत्र और औद्योगिक क्लस्टर शामिल हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि ये छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर पूरे देश में आसानी से उपलब्ध, पर्यावरण के अनुकूल बिजली प्रदान करेंगे। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण बजटीय बढ़ावा को रेखांकित करते हुए कहा कि 2014 से परमाणु ऊर्जा विभाग के बजट में 170 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2024-25 के बजट में, कम से कम पांच भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के स्वदेशी विकास के लिए विशेष रूप से 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। भारत स्वदेशी अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता देते हुए परमाणु प्रौद्योगिकी उन्नति के लिए फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के साथ सहयोग कर रहा है। गैर-सरकारी स्रोतों से 60-70 प्रतिशत वित्त पोषण के साथ राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन परमाणु अनुसंधान को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मंत्री ने 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।

महाराष्ट्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) के प्रफुल्ल पटेल के सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि जैतापुर का प्रोजेक्ट छह यूनिट का है। इसकी कुल क्षमता 3680 मेगावाट है। 100 गीगावाट का जो लक्ष्य रखा है, उसका 10 फीसदी अकेले जैतापुर से आएगा।