नयी दिल्ली, 03 सितंबर। विश्व बैंक ने कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारत के राजकोषीय प्रबंध और महंगाई पर अंकुश लगाने की नीतियों की तारीफ करते हुए मंगलवार को अनुमान जताया कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
वर्ष 2022-23 में भारत के जीडीपी की वृद्धि 7.2 प्रतिशत थी और देश विश्व की सबसे तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था था।
भारत के बारे में विश्व बैंक की यहां जारी ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट-अक्टूबर 2023’ शीर्षक रिपोर्ट में व्यक्त यह अनुमान छह माह पहले के उसके अनुमान के बराबर है। रिपोर्ट में भारत में उपभोग और निवेश की मांग की स्थिति को मजबूत बताते हुए अनुमान लगाया है कि अगले वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत तथा उसके बाद के वर्ष में यह 6.5 प्रतिशत तक जा सकती है।
बैंक का अनुमान है कि भारत में आने वाले समय में मुद्रास्फीति का दबाव और कम होगा तथा यह भारत रिजर्व बैंक के लिए आसान माने जाने वाले 2-6 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.9 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 4.7 प्रतिशत तथा उसके बाद के वर्ष में 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
भारत में विश्वबैंक के स्थानीय निदेशक आगस्ते तानो कोउआमे ने यह रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “ आज दुनिया की स्थिति बहुत कठिन है। मुद्रास्फीति ऊंची है और ब्याज दरें चढ़ी हुई हैं, ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कुछ समय तक चुनौतियां बनी रहेंगी।”
उन्होंने कहा कि भारत ने 2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है। देश के कुछ दीर्घकालिक लक्ष्य हैं और कुछ अल्पकालिक चुनौतियां हैं।
इस अवसर पर दक्षिण एशिया विषयक विश्व बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री फ्रांजिस्का ऑनसोर्गी और इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (आईडीयू) के लेखक ध्रुव शर्मा ने भी अपने विचार रखे।
श्री शर्मा ने कहा, “भारत में कुछ समय से मुद्रास्फीति के ऊंचा रहने और मौद्रिक नीति की कठोरता के बावजूद देश की आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है। ”
उन्होंने कहा कि भारत में निवेश मजबूत बना हुआ है, राजकोषीय घाटा धीरे-धीरे कम हो रहा है और जीडीपी के हिसाब से कर्ज का अनुपात कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में मांग की कमी के बावजूद भारत में घरेलू मांग मजबूत है। पहली तिमाही के जीडीपी के पहली तिमाही के आंकड़ों में उपभोग मांग में एक साल पहले की तुलना में कुछ नरमी जरूर दिखायी देती है, यह साल पहले इसी दौरान कोविड19 की पांबदियों के खुलने के बाद आयी मांग के धीरे-धीरे शांत होने का असर है।
शर्मा ने कहा कि भारत में ‘श्रम बाजार में काफी सुधार दिख रहा है पर कुछ निहित चुनौतियां भी हैं।’ उन्होंने कहा कि नौकरियों में अशिकांश वृद्धि अभी कम गुणवत्ता की नौकरियों और घरेलू काम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की वजह से है।
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि क्रमश: 3.5 प्रतिशत, 5.7 प्रतिशत और 7.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी। पिछले वित्त वर्ष में ये दरें क्रमश: चार प्रतिशत, 4.4 और 9.5 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में निजी उपभोग मांग में वृद्धि 5.9 प्रतिशत, सरकारी उपभोग में 4.1 प्रतिशत, सकल पूंजीगत निर्माण (निवेश) में 8.9 प्रतिशत, वस्तु एवं सेवा क्षेत्र के निर्यात में 0.9 प्रतिशत और आयात में तीन प्रतिशत की वृद्धि होगी।
विश्व बैंक के अधिकारियों ने कहा कि भारत में निवेश में वृद्धि जीडीपी वृद्धि से ऊपर है जो अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत है। रिपोर्ट में अगले वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान निवेश (सकल स्थिर पूंजी निर्माण) में 7.8 प्रतिशत तथा उसके अगले साल निवेश में वृद्धि 7.3 प्रतिशत रहेगी। इस तरह आगे वाले वर्षों में भी निवेश की गति जीडीपी वृद्धि से तेज रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में भारत का चालू खाते का घाटा जीडीपी के 1.4 प्रतिशत के बराबर रहेगा जो पिछले साल के दो प्रतिशत से कम है। शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 1.1 प्रतिशत के बराबर रहने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष में 0.8 प्रतिशत था।
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में अनुमान है कि केंद्र और राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 8.7 प्रतिशत के बराबर होगा जो पिछले साल 9 प्रतिशत था। अगले वित्त वर्ष में इसके और घट कर 8.1 प्रतिशत रहने और उसके बाद के वर्ष में 7.9 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है।
रिपोर्ट में अगले वित्त वर्ष में निर्यात में 6.7 प्रतिशत और उसके बाद के वर्ष में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
विश्व बैंक के अधिकारियों ने पिछले आम बजट को एक बहुत ही मजबूत बजट बताया और कहा कि इससे राजकोषीय स्थिति को मजबूत बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता झलकती है और आगामी चुनावों के कारण राजकोषीय घाटे के बढ़ने का कोई खतरा नहीं दिखता।