नई दिल्ली, 13 अप्रैल । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने शनिवार को कहा कि विदेशी आक्रमणों के कारण भारत की शिक्षा व्यवस्था को गंभीर क्षति हुई। वह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में आठवें युवा इतिहासकार राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

अरुण कुमार ने अपने संबोधन में मूल ऐतिहासिक स्रोतों के अध्ययन पर बल दिया ताकि भारत का वास्तविक इतिहास सामने आ सके।

इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन इग्नू, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना एवं माधव संस्कृति न्यास संयुक्त रूप से कर रहे हैं। संगोष्ठी का मुख्य विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) में भारतीय ज्ञान-प्रणाली एवं इतिहास लेखन तथा इतिहास दर्शन है।

युवा इतिहासकारों को प्रेरित करते हुए उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व एवं मौलिक चिंतन का आह्वान किया।

सत्र की अध्यक्षता इग्नू के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव ने की। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने भी मौलिक शोध एवं मौलिक चिंतन के द्वारा भारत के इतिहास अध्ययन पर बल दिया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों के विशाल समुदाय तक पहुंच रखने वाले विश्वविद्यालय के रूप में इग्नू इस कार्य के लिए प्रतिबद्ध है।

इनके अतिरिक्त उद्घाटन सत्र को अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष डॉ. चमू कृष्ण शास्त्री एवं जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति डॉ. सारंगदेवोत ने भी संबोधित किया। इग्नू के कुलसचिव प्रो. आलोक चौबे ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

संगोष्ठी के प्रथम दिन उद्घाटन सत्र के अलावा चार शोध पत्र प्रस्तुति सत्रों का भी आयोजन हुआ, जिसमें मुख्य विषय के विभिन्न आयामों पर आधारित लगभग 50 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए एवं उन पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इनके अतिरिक्त एक विशेष सत्र का भी आयोजन हुआ, जिसे पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, ऑर्गनाइजर पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के सह-संगठन सचिव संजय मिश्र एवं डॉ. सुरेश पाण्डेय ने संबोधित किया।