बायो ई 3 नीति के 1 साल पूरे होने के मौके पर स्वदेशी जैव-निर्माण को मज़बूत करने के लिए पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क का अनावरण

नई दिल्ली, 27 अगस्त । केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2014 में मात्र 10 अरब डॉलर थी, जो आज बढ़कर 165.7 अरब डॉलर हो गई। 2030 तक जैव अर्थव्यवस्था 300 अरब डॉलर के लक्ष्य हासिल कर लेगी। बुधवार को बायो ई 3 नीति के एक साल पूरे होने के मौके पर नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले एक साल में बायो ई 3 नीति के तहत तेजी से प्रगति की है और कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जो देश की जैव-अर्थव्यवस्था को आकार दे रही हैं।

इस मौके पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने युवाओं के लिए बायो ई 3 चुनौती और देश के पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क का शुभारंभ किया। उन्होंने जैव-प्रौद्योगिकी को भारत की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार का वाहक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने अपने हितधारकों के साथ मिलकर कम समय में नए संस्थान स्थापित किए हैं, संयुक्त अनुसंधान पहल शुरू की हैं और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियां स्थापित की हैं। देश भर में जैव-कृत्रिम बुद्धिमत्ता केंद्रों, जैव-विनिर्माण केंद्रों और जैव-फाउंड्री की स्थापना, और कोशिका एवं जीन थेरेपी, जलवायु-अनुकूल कृषि, कार्बन कैप्चर और कार्यात्मक खाद्य पदार्थों जैसे उन्नत क्षेत्रों को कवर करने वाले एक दर्जन से अधिक संयुक्त अनुसंधान कॉलों के शुभारंभ का उल्लेख किया। डीबीटी को इन श्रेणियों के अंतर्गत पहले ही 2,000 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं।

डॉ. जितेंद्र ने कहा कि इस वर्ष की शुरुआत में ग्रुप कैप्टन सुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग (डीबीटी) समर्थित तीन प्रयोग किए गए थे। राज्य स्तर पर, डीबीटी ने केंद्र-राज्य साझेदारी की पहल की है, जिसमें असम के साथ एक बायो ई 3 प्रकोष्ठ की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन भी शामिल है। वैश्विक स्तर पर, 52 देशों में भारत के मिशनों ने बायो ई 3 नीति पर इनपुट साझा किए हैं, और डीबीटी और विदेश मंत्रालय अनुवर्ती कार्रवाई पर काम कर रहे हैं।

इस मौके पर डीबीटी सचिव डॉ. राजेश गोखले ने कहा आज शुरू किए गए दो नई पहल के बारे में कहा कि विभाग स्कूली छात्रों (कक्षा 6-12), विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधकर्ताओं, संकाय, स्टार्टअप और भारतीय नागरिकों को स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण और उद्योग में चुनौतियों का समाधान करने वाले सुरक्षित जैविक समाधान डिजाइन करने के लिए आमंत्रित करती है। अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाले हर महीने की पहली तारीख को इस चुनौती की घोषणा की जाएगी, जिसमें शीर्ष 10 विजेता समाधानों में से प्रत्येक को मान्यता और सलाह के साथ 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा। इसके अलावा 100 चयनित पुरस्कार विजेता अपने विचारों को अवधारणा के प्रमाण में बदलने के लिए जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के माध्यम से दो किस्तों में प्रदान किए गए 25 लाख रुपये तक के वित्त पोषण के लिए पात्र होंगे। इसके साथ युवाओं के लिए बायो ई 3 चुनौती डिज़ाइन ढांचे पर आधारित है, जो प्रतिभागियों को वास्तविक आवश्यकताओं को परिभाषित करने, साक्ष्य आधारित समाधान बनाने में मार्गदर्शन करता है।

इस मौके पर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि बायो ई 3 नीति के माध्यम से, देश में जन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, पर्यावरण की रक्षा करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में काम हो रहा है। जैव प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर एक हरित, स्वच्छ और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण की दिशा में एक रणनीतिक कदम उठाया है, जिससे आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को बल मिला है। उन्होंने कहा कि जीव विज्ञान अब एक अलग-थलग विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह इंजीनियरिंग, वास्तुकला और अंतरिक्ष विज्ञान के साथ तेज़ी से जुड़ रहा है, जिससे बायोफिलिक शहरी डिज़ाइन, शैवाल-आधारित कार्बन कैप्चर, आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधे, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, कृत्रिम अंग, ऑर्गन-ऑन-ए-चिप सिस्टम और अंतरिक्ष जीव विज्ञान प्रयोग जैसे नवाचारों को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रो. सूद ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के नेतृत्व में, बायोई3 अनुसंधान और विकास को गति देगा, रोज़गार सृजन करेगा और एक स्थायी जैव-अर्थव्यवस्था का निर्माण करेगा जो भारत के भविष्य को आकार देगी। इस कार्यक्रम में डीबीटी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा, बीआईआरएसी के प्रबंध निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार ने भी अपने संबोधन में बायोई3 नीति के भविष्य के बारे में जानकारी साझा की।

क्या है बायो ई 3 नीति

बायो ई 3 नीति देश में विभिन्न क्षेत्रों में ‘उच्च प्रदर्शन वाले बायोमैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने’ की दिशा में सक्षम तंत्र के लिए दिशा-निर्देशों और सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार करती है। बायो ई 3 नीति का उद्देश्य एक ऐसा ढांचा तैयार करना है, जो अत्याधुनिक उन्नत तकनीकों को अपनाना सुनिश्चित करे और बायोमैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए अभिनव अनुसंधान के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके। नीति का उद्देश्य बढ़ी हुई दक्षता, स्थिरता और गुणवत्ता के लिए बायोमैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। साथ ही जैव-आधारित उच्च-मूल्य वाले उत्पादों के विकास और उत्पादन में तेजी लाना है। बायो ई 3 नीति भारत के हरित विकास के दृष्टिकोण (केंद्रीय बजट 2023-24 में घोषित) के समायोजन के अनुरूप है। साथ ही प्रधानमंत्री के ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली (एलआईएफई)’ के व्यापक आह्वान के अनुरूप भी है, जो सतत विकास के प्रति सामूहिक दृष्टिकोण की कल्पना करती है। यह नीति देश की ‘नेट-जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण के साथ भी सामंजस्य भी स्थापित करती है।

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