नई दिल्ली, 17 मार्च । रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को राज्यसभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा के जवाब में भारतीय रेल की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल यात्रियों को किफायती किराए पर सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थान हासिल कर रही है। जहां हमारे देश में रेलवे का किराया पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के रेल किराए से भी कम है, वहीं पश्चिमी देशों में रेल किराया तो भारत की अपेक्षा 10-20 गुना अधिक है।

रेल यात्रियों को दी जा रही सब्सिडी पर रेल मंत्री ने कहा कि अभी ट्रेन से प्रति किलोमीटर यात्रा की लागत ₹1.38 है, लेकिन यात्रियों से केवल 73 पैसे लिए जाते हैं, यानी 47% सब्सिडी दी जाती है। वित्त वर्ष 2022-23 में यात्रियों को ₹57,000 करोड़ की सब्सिडी दी गई, जो 2023-24 (प्रोविजनल फिगर) में बढ़कर करीब ₹60,000 करोड़ हो गई। हमारा लक्ष्य न्यूनतम किराए पर सुरक्षित और बेहतर सेवाएं देना है। रेल विद्युतीकरण के फायदों पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि यात्रियों और कार्गो की बढ़ती संख्या के बावजूद ऊर्जा खर्च स्थिर है। भारतीय रेल 2025 में ‘Scope 1 नेट जीरो’ और 2030 तक ‘स्कोप 2 नेट जीरो’ हासिल करेगी। रेल मंत्री ने बताया कि बिहार के मढौरा कारखाने में बने लोकोमोटिव का निर्यात जल्द शुरू होगा। भारतीय रेल के पैसेंजर कोच मोज़ाम्बिक, बांग्लादेश और श्रीलंका को निर्यात किए जा रहे हैं, साथ ही लोकोमोटिव भी मोज़ाम्बिक, सेनेगल, श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश को निर्यात हो रहे हैं। बोगी के अंडर-फ्रेम यूनाइटेड किंगडम, सऊदी अरब, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया को और प्रपल्शन पार्ट्स फ्रांस, मैक्सिको, जर्मनी, स्पेन, रोमानिया और इटली को निर्यात किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि इस साल भारत में 1,400 लोकोमोटिव का उत्पादन हुआ, जो अमेरिका और यूरोप के संयुक्त उत्पादन से अधिक है। साथ ही, 2 लाख नए वैगन बेड़े में जोड़े गए हैं। 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में भारतीय रेल 1.6 बिलियन टन कार्गो ढोकर दुनिया के टॉप 3 देशों में शामिल होगा, जिसमें चीन, अमेरिका और भारत होंगे। यह रेलवे की बढ़ती क्षमता और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने ऐलान किया कि रेल सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए 41,000 एलएचबी कोच तैयार किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में सभी आईसीएप कोच को एलएचबी में बदला जाएगा। लंबी रेल, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, फॉग सेफ्टी डिवाइस और ‘कवच’ सिस्टम तेजी से लागू किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले रेलवे को ₹25,000 करोड़ का समर्थन मिलता था, जो अब बढ़कर ₹2.5 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। इससे बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है। वहीं 50 नमो भारत ट्रेनों का निर्माण किया जा रहा है, जो कम दूरी की यात्रा के लिए एसी और नॉन-एसी विकल्पों के साथ है।

हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे लेकर रेल मंत्री ने सदन को बताया कि इस दुखद हादसे की जांच हाई-लेवल कमेटी कर रही है। सीसीटीवी फुटेज समेत सभी डेटा सुरक्षित रखा गया है, करीब 300 लोगों से बातचीत कर फैक्ट्स की जांच हो रही है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए 10 महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

रेल मंत्री ने कहा कि हमारा कमिटमेंट गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए है। यही वजह है कि जनरल कोचों की संख्या एसी कोचों की तुलना में ढ़ाई गुना अधिक बढ़ाई जा रही है। वर्तमान प्रोडक्शन प्लान के अनुसार 17 हजार नॉन-एसी कोचों के मैन्युफैक्चरिंग का प्रोग्राम है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल की वित्तीय स्थिति अच्छी है और इसमें लगातार सुधार के प्रयास जारी हैं। अब रेलवे का राजस्व करीब 2 लाख 78 हजार करोड़ रुपये है और 2 लाख 75 हजार करोड़ के खर्चे हैं। भारतीय रेल सभी बड़े खर्चे खुद के इनकम से कर रही है, जो कि रेलवे के बेहतर प्रदर्शन से संभव हुआ है। रेल मंत्री ने भरोसा दिलाया कि रेलवे भविष्य में और अधिक आधुनिक, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन प्रणाली के रूप में उभरेगा।