संस्कृति सौरभ का स्थापना दिवस
ओंकार समाचार
कोलकाता, 25 फरवरी। ‘संस्कृति सौरभ’ संस्था का दसवाँ स्थापना दिवस 23 फरवरी को भारतीय भाषा परिषद के सभागार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को “ज्योति कलश छलके”, नाम दिया गया।
इस अवसर पर भारतीय संस्कृति के गहन अध्येता और विद्वान अजयेंद्रनाथ त्रिवेदी ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में संस्कृति और साहित्य से जुड़े विविध आयामों पर प्रकाश डाला।भारतीय संस्कृति के विभिन्न उन्मेशों पर चर्चा करते हुए उन्होंने मुख्य रूप से भक्ति साहित्य और भक्त कवियों के द्वारा किए गए सामाजिक अवदानों का उल्लेख किया । रामानुजाचार्य और वल्लभाचार्य की परंपरा, अष्टछाप कवि, कबीर, सूरदास, तुलसी से लेकर उन्होंने तुकाराम और नामदेव के अवदानों पर भी अपनी बात रखी ।
प्रख्यात गायिका प्रिया गांगुली ने सुमधुर भक्ति गीतों के गायन से इस नायाब आयोजन की सफलता में चार चांद लगा दिए । कबीर,नरसी मेहता,सूरदास,मीराबाई,तुलसी, रसखान और पं. नरेंद्र शर्मा व पं मधुर सरीखे कवियों की रचनाओं के अद्भुत गायन ने सभागार में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
रस-वर्षा में संस्था के संस्थापक अध्यक्ष प्रमोद जी शाह द्वारा की गई टिप्पणियों और व्याख्या का विशेष स्थान रहा। ज्योति कलश छलके, तोहिं मोरी लगन लगाई रे फकीरवा, वैष्णव जन तो तेने कहिए, सुनी रे मैने निर्बल के बल राम, करना फकीरी फिर क्या दिलगीरी,जय राम रमा रमणं शमणं, रसखान के सवैये,तेरे मंदिर का हूं दीपक जल रहा,ॐ नमः शिवाय जैसी रचनाओं की सुमधुर प्रस्तुतियों ने मधुर रस की धारा बहा दी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष राममोहन लखोटिया ने स्वागत भाषण दिया ।सचिव विमल नौलखा ने संस्था की अब तक की गौरवशाली गतिविधियों के बारे में जानकारी दी । संस्था के संस्थापक सदस्यों और उपस्थित संरक्षक सदस्यों का इस अवसर पर विशेष सम्मान किया गया ।
इस कार्यक्रम के संयुक्त संयोजक श्री राजेंद्र खंडेलवाल और श्रीमती अनुराधा खेतान ने पूरे आयोजन की विषय वस्तु बनाने और उसके क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।संयुक्त सचिव प्रदीप जीवराजका ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम की सफलता में संस्था के संस्थापक सदस्यों में महेश चंद्र शाह,चित्रा नेवटिया, विजय कानोड़िया,विनोद गुप्ता,अजय अग्रवाल,कार्यकारिणी सदस्य जतन बरड़िया ,सरिता बेंगानी,विकास रूँगटा,पूर्व सचिव प्रदीप कलानेरिया,सदस्यों में लीला शाह,मुकेश खेतान,सुंदर पारख,अर्चना बंका,शशि मोदी सक्रिय थे।संरक्षकों में महावीर प्रसाद मणकसिया,विनोद बागड़ोदिया के अतिरिक्त, इस संध्या को विशिष्ट बनाने के लिए सभागार में महानगर की साहित्यिक-सांस्कृतिक जगत से जुड़े लोगों में राजकुमार पाटोदी,ओम प्रकाश शाह,कमलेश मिश्र,रमेश अरोड़ा,लखन सिंह, प्रशांत अरोड़ा की गरिमामयी उपस्थिति देखी गई।