नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है,  विचार विमर्श भारत की प्राचीन परंपरा का हिस्सा है।उन्होंने कहा कि संसद बहस और विचार विमर्श का महत्वपूर्ण स्थान होती है। भारत में हज़ारों वर्ष पहले भी, बहस और विचार विमर्श के  बहुत ही सटीक उदाहरण हैं।

उन्‍होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित हुई है। मोदी शुक्रवार को यहां जी-20 देशों के संसद अध्यक्षों के नौवें शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

प्रधानमंत्री ने कहा,“हमारे करीब पांच हज़ार साल से भी पुराने ग्रंथों में, हमारे वेदों में, सभाओं और समितियों की बात कही गई है। इनमें एक साथ आकर समाज के हित में सामूहिक निर्णय लिए जाते थे। हमारे सबसे पुराने वेद ऋग्वेद में भी कहा गया है- संगच्छ-ध्वं संवद-ध्वं सं, वो मनांसि जानताम् । यानी हम एक साथ चलें, हम एक साथ बोलें और हमारे मन एक हों।”

उन्होंने कहा कि भारत में प्राचीन समय से ही ग्राम सभाओं में बहस के माध्यम से गांवों से जुड़े फैसले होते थे।  मोदी ने यूनान के दूत मेगस्थनीज की भारत यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के तमिलनाडु में नौवीं सदी का एक शिला-लेख है। इसमें  ग्राम सभाओं के नियम और संहिताओं का उल्लेख है। लगभग 12 सौ साल पुराने शिलालेख पर लिखा हुआ है कि किस सदस्य को, किस कारण से, किस परिस्थितियों में अयोग्य किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ” मैग्ना कार्टा से भी पहले, 12वीं शताब्दी में भारत में “अनुभव मंटपा” की परंपरा रही है। इसमें भी बहस और चर्चा को प्रोत्साहन दिया जाता था। “अनुभव मंटपा” में हर वर्ग, हर जाति, हर समुदाय के लोग अपनी बात के लिए आते थे। जगतगुरु बसवेश्वरा की ये देन आज भी भारत को गौरवान्वित करती है। पांच हजार साल पुराने वेदों से लेकर आज तक की ये यात्रा, संसदीय परंपराओं का ये विकास, सिर्फ हमारी ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की धरोहर है।”