गांधीनगर, 02 अगस्त। सुपर कंप्यूटर ‘परम’ के जनक और पद्म विभूषण डॉ. विजय भाटकर ने शनिवार को कहा कि क्वांटम कंप्यूटिंग और एआई टेक्नोलॉजी में भारत का भविष्य उज्ज्वल है और अब भारत को कंप्यूटर हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना होगा।

नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय भाटकर ने आज अपनी मातृसंस्था महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा का दौरा किया। विवि में ‘टेको’ के नाम से पहचाने जाने वाले कैंपस में बैठकर डॉ. भाटकर ने अपने छात्र जीवन की यादें ताज़ा कीं। इसके उपरांत उन्होंने प्रोफेसरों से विशेष

बातचीत में कहा कि भारत को कंप्यूटर हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने के अभियान में लगना होगा। उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब भारत से कंप्यूटर हार्डवेयर का भी निर्यात होने लगेगा।

उन्होंने कहा कि गुजरात समेत देश के विभिन्न राज्यों में सरकार के प्रयासों से कंप्यूटर चिप निर्माण के लिए प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। यह संकेत देता है कि अब केवल सॉफ्टवेयर निर्माण ही नहीं, बल्कि कंप्यूटर हार्डवेयर के क्षेत्र में भी भारत निर्यात की दिशा में आगे बढ़ रहा है। एक समय था जब बीएचईएल और सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड जैसी कुछ ही कंपनियां इस क्षेत्र में कार्यरत थीं। अब निजी कंपनियों द्वारा कंप्यूटर चिप्स के प्लांट लगाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ-साथ न्यू ऐज कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर निर्माण के क्षेत्र में भारत को अभी लंबा सफर तय करना है। अमेरिका जैसे समृद्ध देश भी भारत या भारतीयों द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर पर निर्भर हैं। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्माण में भारतीयों का बड़ा योगदान रहा है। दक्षिण भारत के साथ-साथ गुजरात के इंजीनियर भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि स्वदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत और भारतीयों का योगदान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर लगातार नए शोध कर रहे हैं। जब हम महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा में पढ़ते थे, तब केवल एनालॉग कंप्यूटर होते थे। दिल्ली के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कुछ डिजिटल कंप्यूटर हुआ करते थे। आज जो शोध हो रहे हैं, वे सभी के सामने हैं। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी के कारण ही डिजिटल क्रांति आई है। एआई टेक्नोलॉजी में भारतीयों का भविष्य उज्ज्वल है।

इस दौरान डॉ. विजय भाटकर ने टेक्सटाइल डिपार्टमेंट में आयोजित एक कार्यक्रम में इंजीनियरिंग के छात्रों से संवाद भी किया।