
नई दिल्ली, 01 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की तियानजिन में जारी बैठक में पहलगाम घटना का जिक्र करते हुए आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि इस पर किसी भी प्रकार का दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है और सभी देशों को एकजुट होकर इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया, “आतंकवाद के हर रूप और रंग का बिना किसी भेदभाव के विरोध करना ही मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।”
तियानजिन (चीन) में आयोजित 25वें एससीओ शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उक्त बातें कहीं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 24 वर्षों से एससीओ के भीतर हमेशा सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाई है। भारत की नीति सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर इन तीन स्तंभों पर आधारित है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश की प्रगति की नींव हैं। वहीं आतंकवाद इन लक्ष्यों के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पूरी मानवता पर सीधा आघात है। इस कठिन समय में भारत के साथ खड़े मित्र देशों के प्रति उन्होंने आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि इस हमले ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या खुले तौर पर आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के व्यवहार को स्वीकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारत ने जॉइंट इनफॉरमेशन ऑपरेशन को लीड करते हुए आतंकी संगठनों से लड़ने की पहल की है। टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ आवाज उठाई है।
उल्लेखनीय है कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी और यह आज एशिया क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग का प्रमुख मंच बन चुका है।
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