
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने दी मृतक को श्रद्धांजलि, बोले- जाते-जाते दो लोगों को जीवन दे गये पूरन
जबलपुर/भोपाल, 07 मार्च। मध्य प्रदेश में एक बार फिर ब्रेन डेड व्यक्ति की किड़नियां भेजने के लिए दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। दो दिन पहले ऊंची दीवार से गिरकर गंभीर रूप से घायल हुए 52 वर्षीय पूरन चौधरी को जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। परिजनों की सहमति के बाद उनकी दोनों किडनियां दान की गईं। शुक्रवार को इनमें से एक किडनी इंदौर के बॉम्बे अस्पताल और दूसरी जबलपुर के दमोह नाका स्थित मेट्रो अस्पताल भेजी गई। ब्रेन डेड मजदूर के अंग ट्रांसप्लांट से दो मरीजों को नया जीवन मिला।
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने स्व. पूरन चौधरी को श्रद्धांजलि अर्पित की है और समाज से अंगदान को जीवनदायी संकल्प के रूप में अपनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अंगदान एक महान पुण्य कार्य है, जिससे न केवल किसी का जीवन बचाया जा सकता है, बल्कि यह मानवीय संवेदना और परोपकार का सर्वोच्च उदाहरण है। उन्होंने कहा कि अंगदान के प्रति बढ़ती जागरूकता, चिकित्सकों एवं मेडिकल स्टॉफ की कार्य कुशलता एवं आपसी समन्वय से अत्यंत ही सुखद परिणाम आ रहे हैं। शुक्ल ने जबलपुर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की पूरी टीम प्रशासन और पुलिस की कुशलता एवं तत्परता की सराहना की है।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि गत 5 मार्च को जबलपुर के पूरन चौधरी कार्य स्थल पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिससे उन्हें गंभीर सिर की चोट आई। मेडिकल कॉलेज जबलपुर में भर्ती होने के बाद सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग में उनकी जांच की गई, जिसमें ब्रेन डेड की पुष्टि हुई। तत्पश्चात, चिकित्सकों ने परिजनों को अंगदान के महत्व की जानकारी दी, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया।
डेढ़ माह में जबलपुर में आर्गन ट्रांसपोर्टेशन के लिये बनाये गये दो ग्रीन कॉरिडोर-
इसके बाद स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन इंदौर को सूचित कर आवश्यक तैयारियाँ की गईं। शुक्रवार को जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देशानुसार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिससे एक किडनी बॉम्बे हॉस्पिटल इंदौर और दूसरी बड़ेरिया मेट्रो हॉस्पिटल जबलपुर में जरूरतमंद मरीज को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट की गई। इस संपूर्ण प्रक्रिया में डॉ. नवनीत सक्सेना, डॉ. अवधेश प्रताप सिंह कुशवाहा, डॉ. जितिन बजाज, डॉ. फनीन्द्र सिंह सोलंकी, अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, प्रशासन और पुलिस का सराहनीय योगदान रहा। अंगदाता स्व. पूरन चौधरी की पार्थिव देह को सम्मानपूर्वक उनके निवास स्थान पहुँचाया गया और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
ग्रीन कॉरिडोर के दौरान जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा। इंदौर से डॉक्टरों की एक विशेष टीम सुबह 6 बजे जबलपुर पहुंची थी और सुबह 10 बजे टीम ने एक किडनी को लेकर एयरपोर्ट से एयर एम्बुलेंस के जरिए इंदौर रवाना किया। इंदौर के बॉम्बे अस्पताल में 56 वर्षीय नीरज सिंह को किडनी का प्रत्यारोपण किया गया, जबकि दूसरी किडनी जबलपुर के मेट्रो अस्पताल में 50 वर्षीय महिला सुदामा बाई को ट्रांसप्लांट की गई।
जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि पूरन चौधरी के परिजनों ने लीवर दान करने की भी इच्छा जताई थी, लेकिन उपयुक्त जरूरतमंद मरीज न मिलने के कारण इसे संभव नहीं किया जा सका। उनकी त्वचा बर्न यूनिट में जरूरतमंद मरीजों और मेडिकल छात्रों के लिए उपयोग की जाएगी। उन्होंने बताया कि किडनियों को सुरक्षित और तेज़ी से गंतव्य तक पहुंचाने के लिए दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। मेडिकल कॉलेज से इंदौर एयरपोर्ट तक पहला ग्रीन कॉरिडोर 25 किलोमीटर लंबा था, जबकि दूसरा ग्रीन कॉरिडोर दमोह नाका तक आठ किलोमीटर का था। डीएसपी बीएन प्रजापति ने बताया कि दोनों ग्रीन कॉरिडोर के लिए लगभग 150 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। किडनी ले जा रही एम्बुलेंस के साथ पुलिस की दो गाड़ियां भी मौजूद रहीं।————