सियोल, 21 मार्च । दक्षिण कोरिया के मुख्य विपक्षी दल डीपीके ने प्रधानमंत्री हान डक-सू के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है। देश के

संवैधानिक न्यायालय ने गुरुवार को घोषणा की कि वह सोमवार सुबह 10 बजे हान के महाभियोग को बरकरार रखने या न रखने के बारे में अपना फैसला सुनाएगा। हालांकि, इस न्यायालय ने अभी तक राष्ट्रपति के 3 दिसंबर के मार्शल लॉ घोषणा के लिए महाभियोग परीक्षण पर अपने फैसले की तारीख का खुलासा नहीं किया है।

द कोरिया टाइम्स अखबार की इस आशय की खबर के अनुसार, कानूनी विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री हान डक-सू के महाभियोग का फैसला राष्ट्रपति यूं सूक येओल को संभावित रूप से हटाने के लिए एक लिटमस टेस्ट के रूप में काम कर सकता है।

हान के महाभियोग प्रस्ताव में कई आरोप हैं। इनमें प्रमुख हैं कि राष्ट्रपति के मार्शल लॉ लागू करने में उनकी कथित संलिप्तता। संवैधानिक न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति से उनका इनकार करना। यून के खिलाफ विद्रोह के आरोपों की जांच के लिए एक स्थायी विशेष वकील नियुक्त करने से उनका इनकार। यून और प्रथम महिला किम कीन ही को लक्षित करने वाले दो विशेष वकील विधेयकों को लागू करने में उनकी विफलता। पूर्व सत्तारूढ़ पीपुल पावर पार्टी (पीपीपी) के नेता हान डोंग-हून के साथ राज्य के मामलों का प्रबंधन करने के उनके प्रयास।

प्रधानमंत्री का तर्क है कि नेशनल असेंबली में प्रस्तुत उनके महाभियोग के सभी आधार अमान्य हैं। उनका दावा है कि उन्होंने यून के मार्शल लॉ घोषणा का विरोध किया था और सैनिकों की लामबंदी में उनकी कोई संलिप्तता नहीं थी। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि न्यायालय महाभियोग प्रस्ताव को बरकरार रखता है तो हान को पद से हटा दिया जाएगा। यदि न्यायालय इसे खारिज कर देता है, तो उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के रूप में बहाल कर दिया जाएगा।