कोलकाता, 20 मार्च । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अदालत के आदेश के बावजूद अवैध निर्माण जारी रखने के लिए दो गुना जुर्माना लगाया है। बुधवार को न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने वादी को दो दिन के अंदर जुर्माने के तौर पर दो लाख रुपये जमा करने का आदेश दिया।
कोलकाता नगर निगम के वार्ड नंबर 106 में एक व्यक्ति ने घर बनाने के लिए आवेदन किया। नगर निगम ने आवेदन को मंजूरी नहीं दी। इसके बाद शख्स ने हाई कोर्ट में केस दायर किया। न्यायमूर्ति सिन्हा ने पाया कि नगर निगम ने निर्माण जारी रखने की अनुमति नहीं दी। आरोप है कि इसके बाद वादी ने बिना अनुमति के निर्माण कार्य जारी रखा। अदालत ने नगर निगम के फैसले को बरकरार रखा था और गत 12 मार्च को कोर्ट ने वादी को एक लाख रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया। जस्टिस सिन्हा ने कहा कि जुर्माना सात दिन के अंदर नगर निगम आयुक्त को देना होगा। वह उस पैसे का उपयोग हाईकोर्ट परिसर को हरा-भरा करने में करेंगे।
बुधवार को नगर निगम ने वादी के खिलाफ कहा कि उसने जुर्माना जमा नहीं किया है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ का रुख किया था। मामला वहां लंबित है। इसपर जस्टिस सिन्हा ने कहा, डिवीजन बेंच ने अब तक सिंगल बेंच के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया है। इसलिए उस व्यक्ति ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर गलत काम किया है। इसके बाद भी अदालत आंखें नहीं मूंद सकती। उन्हें 22 मार्च तक एक लाख जुर्माना और भरना होगा। अगर इस आदेश पर अमल नहीं किया गया तो जुर्माने की रकम बढ़ाई जाएगी।