
कोलकाता, 13 जुलाई।कोलकाता के जोका स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कोलकाता कैंपस में एक छात्रा के साथ कथित दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने जांच तेज कर दी है। दक्षिण-पश्चिम डिविजन के डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर एक नौ सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया गया है, जिसकी निगरानी एसीपी रैंक के अधिकारी कर रहे हैं।
मामले में आरोपित को 19 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है। साथ ही हरिदेवपुर थाने द्वारा आरोपित के परिजनों को पूछताछ के लिए तलब किया गया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपित पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा है, जिससे जांच में बाधा आ रही है। इसी के मद्देनजर हरिदेवपुर थाने की ओर से आईआईएम कोलकाता प्रशासन को एक आधिकारिक पत्र भेजा गया है, जिसमें सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी गई है।
सुरक्षा संबंधित कॉलेज प्रशासन से जानकारी के तौर पर निम्न प्रश्न पूछे गए हैं, वर्तमान में जोका कैंपस में कौन-कौन से सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू हैं? बाहरी व्यक्तियों को एंट्री की प्रक्रिया क्या है? हॉस्टल गेट पर आगंतुकों की क्या जानकारी दर्ज की जाती है और उनके सामान की क्या जांच होती है? घटना के दिन पीड़िता से कोई सामान बॉयज हॉस्टल के प्रवेश द्वार पर लिया गया था या नहीं?
जांच में यह भी देखा जा रहा है कि किस तरह आरोपित एक बाहरी व्यक्ति को परिसर में घुसाने में सफल हुआ। पुलिस इसे सुरक्षा में गंभीर चूक मान रही है। इस बीच, आईआईएम कोलकाता प्रशासन ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह इस गंभीर आरोप से अवगत है और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ पूरी तरह सहयोग कर रहा है। संस्थान ने अपनी ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ की पुष्टि भी की है।
अपराध स्थल का पुनर्निर्माण
घटना के दिन जिस पिज्जा डिलीवरी से खाना मंगवाया गया था, उस कंपनी के बिल को भी जब्त कर लिया गया है और डिलीवरी बॉय का बयान दर्ज किया गया है। पुलिस अब आरोपित को लेकर बॉयज हॉस्टल में जाकर घटना स्थल का पुनर्निर्माण (क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन) करने की योजना बना रही है, ताकि घटना के क्रम को स्पष्ट किया जा सके।
साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि कहीं आरोपित ने पीड़िता की कोई तस्वीर या वीडियो खींचकर प्रसारित तो नहीं की।
मेडिकल जांच और बयान के लिए अदालत में आवेदन
पुलिस ने अदालत में अर्जी दाखिल कर पीड़िता का गोपनीय बयान दर्ज कराने और मेडिकल जांच कराने की अनुमति भी मांगी है। यह मामला फिलहाल कोलकाता में शैक्षणिक परिसरों में सुरक्षा को लेकर जनचर्चा और राजनीतिक बहस का विषय बन गया है, क्योंकि हाल के दिनों में छात्र नेताओं से जुड़े कई विवाद सामने आए हैं। जब तक जांच की सारी प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो जाती है और फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के प्रमाण नहीं आ जाते पीड़िता का मेडिकल रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक इस संवेदात्मक स्थिति पर कुछ कहा नहीं जा सकता।