कोलकाता, 21 अक्टूबर । पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य क्षेत्र में जारी संकट को समाप्त करने के लिए सरकार सक्रिय है। सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न में आंदोलनकारी चिकित्सकों के साथ बैठक के लिए समय निर्धारित किया है। हालांकि, जूनियर डॉक्टर बिना किसी शर्त के इस बैठक में शामिल होने के निर्णय पर अड़े हुए हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या जूनियर डॉक्टर वास्तव में इस गतिरोध को समाप्त करना चाहते हैं। इसी बीच तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने हड़ताल के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों को आड़े हाथों लिया है। डॉक्टरों ने मांगे पूरी नहीं होने पर मंगलवार को संपूर्ण हड़ताल का ऐलान किया है।
कुणाल घोष ने मंगलवार को डॉक्टरों की हड़ताल के कारण किसी मरीज को नुकसान होने पर एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी दी है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “अगर मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक को जानबूझकर अनुचित हठ के कारण विफल किया गया और मंगलवार को हड़ताल के नाम पर अराजकता फैलाने की कोशिश की गई, तो बंगाल के किसी भी मरीज को हुए नुकसान के लिए निकटतम थाने में डॉ. देवाशीष हलदार और डॉ. अनिकेत महतो के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। ये ही षड्यंत्र के मुख्य सूत्रधार हैं। उनके साथ संबंधित संस्थानों और डॉक्टरों के नाम भी जोड़े जाएंगे। चिकित्सा आपका मौलिक अधिकार है। किसी भी प्रकार की उकसावे से इसे छीनना कानूनन अपराध है।”
कुणाल घोष ने यह भी कहा, “अगर अनशन के कारण जूनियर डॉक्टरों में से किसी को भी कोई नुकसान होता है, तो इसके लिए भी यही लोग और उनको उकसावे देने वाले लोग जिम्मेदार होंगे।” उन्होंने आंदोलनकारी डॉक्टरों से एक बार फिर अनशन वापस लेने की अपील की और कहा, “मुख्यमंत्री बार-बार अभिभावक जैसी संवेदनशीलता दिखा रही हैं। इसका सम्मान करते हुए अनशन समाप्त करें और चर्चा के लिए आगे आएं। वामपंथी, अति-वामपंथी या विपक्ष के जाल में न फंसे।”
कुणाल घोष की एफआईआर की चेतावनी का विरोध जूनियर डॉक्टर किंजल नंद ने किया है। उनका कहना है कि अनशन का निर्णय पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट द्वारा सामूहिक रूप से लिया गया है। देवाशीष या अनिकेत ने इसे अकेले नहीं लिया है।
उल्लेखनीय है कि नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल से एक महिला डॉक्टर का शव बरामद किया गया था। इस घटना के बाद न्याय और सुरक्षा सहित विभिन्न मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने आंदोलन शुरू किया था। उन्होंने लंबे समय तक हड़ताल भी की। उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद स्वास्थ्य भवन के सामने धरने पर बैठे डॉक्टरों से मुलाकात की थी और हड़ताल खत्म करने की अपील की थी। आखिरकार लंबी खींचतान के बाद हड़ताल वापस ले ली गई थी। अब गत पांच अक्टूबर से आठ जूनियर डॉक्टर लगातार आमरण अनशन पर हैं।