
कोलकाता, 3 जून । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोलकाता में फर्जी पासपोर्ट और हवाला रैकेट मामले में गिरफ्तार पाकिस्तानी नागरिक आज़ाद मलिक को जारी भारतीय वीज़ा से जुड़ी जानकारी विदेश मंत्रालय (एमईए) से मांगी है। एजेंसी इस बात की जांच कर रही है कि एक पाकिस्तानी नागरिक, जिसने बाद में फर्जी तरीके से बांग्लादेशी नागरिकता हासिल की, उसे भारत आने का वीज़ा कैसे जारी हुआ।
ईडी के सूत्रों के अनुसार, मूल रूप से पाकिस्तान का नागरिक आज़ाद पहले फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए बांग्लादेशी नागरिक बना, इसके बाद उसने भारत के लिए वैध वीज़ा प्राप्त किया। भारत आने के बाद उसने फिर से फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से भारतीय पासपोर्ट समेत कई पहचान पत्र बनवा लिए और कोलकाता के उत्तरी उपनगरों में किराए के मकान से फर्जी पासपोर्ट और हवाला कारोबार चलाने लगा।
ईडी ने विदेश मंत्रालय से यह जानकारी मांगी है कि जब आज़ाद ने खुद को बांग्लादेशी नागरिक बताकर वीज़ा के लिए आवेदन किया था, तब उसने कौन-कौन से दस्तावेज़ प्रस्तुत किए थे और उस समय आवेदन की जांच किस अधिकारी ने की थी। जांच में पता चला है कि पाकिस्तान में उसका मूल नाम ‘आज़ाद हुसैन’ था, जिसे बांग्लादेशी नागरिकता लेते समय बदल कर ‘अहमद हुसैन आज़ाद’ कर दिया गया। बाद में जब उसने फर्जी भारतीय पासपोर्ट बनवाया, तब उसका नाम ‘आज़ाद मलिक’ दर्शाया गया।
ईडी की छापेमारी में उसके पास से दो फर्जी मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी), कई फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस और चार फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बरामद हुए हैं। अधिकारी अब यह जांच कर रहे हैं कि कहीं उसके संबंध किसी आतंकी संगठन से तो नहीं थे।
हाल ही में ईडी ने कोलकाता स्थित पीएमएलए की विशेष अदालत को बताया था कि आज़ाद के मोबाइल फोन से व्हाट्सऐप के व्यक्तिगत और समूह चैट में कुछ अत्यंत संवेदनशील जानकारियां मिली हैं। इन जानकारियों के आधार पर ईडी को यह समझने में मदद मिली है कि कोलकाता से हवाला के ज़रिए बांग्लादेश भेजे जा रहे धन के प्राप्तकर्ता वहां कौन लोग थे। चूंकि कुछ समूहों में की गई बातचीत काफी संदिग्ध पाई गई है, इसलिए ईडी अब यह जांच कर रही है कि हवाला के ज़रिए भेजी गई राशि का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग में तो नहीं हुआ।