(कौशल मूंदड़ा) उदयपुर/जयपुर, 02 जनवरी। सरकार ने हिट एंड रन मामले में नया कानून तो बना दिया, लेकिन एक व्यावहारिक पक्ष भूल गई कि निर्दोष साबित होने से पहले चालक-परिचालक को भीड़ से बचना जरूरी है। भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता और भीड़ हमेशा बड़े वाहन को कसूरवार मानती है।
ऐसे ही कई व्यावहारिक पक्षों को लेकर देश भर में चल रहा नए हिट एंड रन कानून का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थान में भी अलग अलग शहरों में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। कई जिलों में ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन और निजी बस यूनियन की तरफ से इस कानून का विरोध किया जा रहा है। खासतौर पर ट्रक और बस चालक इस कानून के विरोध में उतरे हैं। उनका कहना है कि कोई भी चालक जानबूझकर दुर्घटना कारित नहीं करता है। अमूमन दुर्घटना में किसी की मृत्यु होने पर भारी वाहन के चालक को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, जबकि कई बार भारी वाहन चालक की गलती नहीं होती है।
राजस्थान के अलवर, भरतपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, जालोर, जयपुर, उदयपुर सहित कई जिलों में ट्रक चालकों और निजी बसों के चालकों का विरोध प्रदर्शन जारी है। जयपुर के पास चंदवाजी और दौसा में ड्राइवरों ने हाईवे पर जाम लगा दिया। ड्राइवरों की हड़ताल को देखते हुए अलवर और मत्स्य नगर डीपो से रोडवेज बसों का संचालन भी नहीं हो सका। प्रदर्शनकारी डिपो के अंदर तक पहुंच गए और नए कानून का विरोध किया। मत्स्य नगर डिपो से 100 से ज्यादा रोडवेज बसों का संचालन नहीं हो सका।
ट्रक और ट्रेलर एसोसिएशन के साथ प्राइवेट बस ऑपरेटर भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। भीलवाड़ा में गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और ऑल ड्राइवर कल्याण संघ की ओर से भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया गया। भीलवाड़ा डिपो से अजमेर, कोटा, बीकानेर, जयपुर और भरतपुर जाने वाले सभी बसों को रोक दिया गया। रोडवेज की बसों का संचालन भी नहीं हो सका। 90 से ज्यादा रोडवेज की बसें बंद रही। भरतपुर में रोडवेज बसों के चालकों और टैक्सी ड्राइवरों ने भी हड़ताल का ऐलान कर दिया है।
अलग अलग जिलों में चक्का जाम के कारण जयपुर की सबसे बड़ी फल सब्जी मंडी मुहाना मंडी में व्यापारी काफी परेशान हुए। पहली बात तो यह रही कि सामान्य दिनों की तुलना में आधे वाहन भी माल लेकर मुहाना मंडी नहीं पहुंचे। दूसरा कारण यह कि किसी भी व्यापारी ने फल और सब्जी की खरीद नहीं की क्योंकि कोई भी ट्रक चालक फल सब्जियां लेकर जाने को तैयार नहीं हुए।
निजी बसों के साथ रोडवेज की बसें नहीं चलने का असर आमजन पर पड़ा है। खासतौर पर वे लोग परेशान हुए हैं जो नए साल के दौरान कहीं घूमने गए हुए थे। कई परिवार बीच राह में फंस गए हैं।
ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन राजस्थान के संरक्षक अनिल कुमार जैन का कहना है कि हड़ताल का असर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भी पड़ रहा है। ड्राइवर बसें चलाने को तैयार नहीं है। जो बसें अलग अलग शहरों में गई हुई हैं, चालक उन्हें वापस लाने को तैयार नहीं है। जैन ने कहा कि जब ड्राइवर ही नहीं है तो बसें कैसे चलेंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को एक बार फिर से इन कानून पर विचार करना चाहिए।
इधर, जानकार कह रहे चालकों से ज्यादा चिंता मालिकों की है!
इस नए कानून पर जानकारों का कहना है कि इस मामले में चालकों से ज्यादा चिंता मालिकों की है। दरअसल, चालक-परिचालक मौके से भाग भी जाते हैं तब भी वे दूर जाकर पुलिस को हादसे की जानकारी दे सकते हैं और अपना पक्ष रखते हुए यह भी कह सकते हैं कि हादसे के बाद भीड़ से उनकी जान को खतरा हो चला था, इसलिए वे सुरक्षित दूर भागे हैं। लेकिन, यहां चिंता मालिकों की इसलिए बढ़ रही है क्योंकि चालक-परिचालक के भागने के बाद भीड़ का गुस्सा वाहन पर निकलता है और लाखों का सामान भेंट चढ़ने की आशंका रहती है। ऐसे में चालकों से ज्यादा चिंता वाहन मालिकों और ट्रांसपोर्टरों की है, जबकि आगे वाहन चालकों को किया जा रहा है। इस मामले में सजा तो पहले भी थी, सिर्फ उसे बढ़ाया गया है।