हिसार, 25 अक्टूबर । जिले के गांव पेटवाड़ में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत

देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) होंगे। वे वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के आगामी

23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद यह पद संभालेंगे और 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे।

प्रदेश को ऐसा मान पहली बार मिलने वाला है। इसको

लेकर पूरे गांव में खुशी की लहर है। दिवाली के बाद एक और दिवाली इस गांव में देखने

को मिलेगी।

दिवाली से एक दिन पहले ही जस्टिस सूर्यकांत अपने पैतृक गांव पेटवाड़ में बचपन

की सभी यादें ताजा करके गए हैं। वह अपने पैतृक घर में भी पहुंचे, जिसमें उनका बचपन गुजरा

था। उनका जन्म भी इसी घर में हुआ था। जिस स्कूल में उन्होंने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण

की थी उस स्कूल में भी जाकर काफी पल बिताए। जिस कमरे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करते थे

उस कमरे को काफी देर देखा।

गांव के सरपंच सतबीर सिंह ने बताया कि वो जब भी गांव

में पहुंचते हैं तो ग्रामीणों से खुले मन से बातचीत करते हैं।

जस्टिस सूर्यकांत के बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत ने बताया कि उनके चीफ जस्टिस

बनने पर पूरे प्रदेश का नाम रोशन होगा। वह शुरू से ही पढ़ाई लिखाई करने में होशियार थे। वह जब भी गांव में आते हैं तो

सभी ग्रामीणों से मिलकर हाल-चाल पूछते है।

जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदन लाल शास्त्री अध्यापक थे।

उन्होंने 14 पुस्तक लिखी, जिनमें हरियाणवी भाषा में रामायण भी शामिल है। इसके लिए उनको हरियाणा

साहित्य अकादमी की तरफ से सूरदास पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

जस्टिस सूर्यकांत 10 फ़रवरी 1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए। उन्होंने

गांव के प्राइमरी स्कूल में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद दसवीं कक्षा भी गांव के ही सरकारी स्कूल में पास की। वर्ष 1981 में राजकीय स्नातकोत्तर

महाविद्यालय, हिसार से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय,

रोहतक से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1984 में हिसार ज़िला न्यायालय में वकालत

शुरू की। 1985 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत करने के लिए चंडीगढ़

चले गए। 7 जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता नियुक्त होने का गौरव प्राप्त

किया। इसके बाद मार्च 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। 09 जनवरी 2004 को

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने। 5 अक्टूबर 2018 से 23 मई

2019 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश पद पर रहे। 24 मई, 2019 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।