
नई दिल्ली, 26 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का कहना है कि हिन्दू समाज ही पहले हिन्दू धर्म को ठीक से समझेl हिन्दू मेनिफेस्टो नामक एक पुस्तक का लोकार्पण करते हुए उन्होंने एक बार फिर दोहराया की राजा का धर्म है कि वह अपने समाज और उसके नागरिकों की रक्षा करेंl उन्होंने कहा कि विश्व में अनेक प्रकार की सभ्यताएं दोराहे पर खड़ी हैं और भविष्य का मार्ग ढूंढ रही हैंl यह मार्ग भारत ही उन्हें दिखा सकता है लेकिन उससे पहले भारत को स्वयं पूर्ण दृष्टि वाला समर्थ और सबल भारत बनकर खड़ा होना होगा
आईआईटी खड़गपुर के स्नातक और संन्यासी स्वामी विज्ञानानंद की शोध पूर्ण और काल सुसंगत पुस्तक द हिंदू मेनिफेस्टो की प्रशंसा करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि यह पुस्तक एक विमर्श पैदा करेगी, भविष्य के लिए एक मार्ग प्रशस्त करेगी l हिन्दू धर्म की बौद्धिक संपदा और उसकी वैश्विक दृष्टि को लोगों के बीच तक पहुंचाने का काम करेगी। लोकार्पण समारोह का आयोजन प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय परिसर में किया गया।
डॉ. भागवत ने कहा कि सनातन हिन्दू समाज की दृष्टि को लोगों तक पहुंचाना यह समय की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बात ठीक है कि हमने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया और हमारी अहिंसा लोगों की सोच को बदलने के लिए है, पर जब कोई सोच नहीं बदलता है तो उसको दंडित करना भी धर्म ही होता है l हमने राम रावण युद्ध में इसे देखा है।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ योगेश कुमार ने हिन्दू चिंतन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ चिंतन बताते हुए कहा कि वसुधैव कुटुंबकम का भाव इसी दृष्टिकोण में से निकला है।
स्वामी विज्ञानानंद ने हिंदी अंग्रेजी और संस्कृत के धारा प्रभाव भाषण में पुस्तक में जो सामग्री संकलित की गई है इसका संक्षिप्त विवरण दियाl उन्होंने कहा कि उन्होंने वेदों उपनिषदों आदि के माध्यम से यह स्पष्ट सिद्ध किया है की समृद्धि, राष्ट्रीय सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जिम्मेदार लोकतंत्र, महिलाओं के प्रति सम्मान, सामाजिक सद्भाव, प्रकृति की पवित्रता और मातृभूमि के प्रति सम्मान इन आठ मार्गदर्शन सिद्धांतों पर चलकर भारत एक बार फिर विश्व गुरु बन सकता हैl उन्होंने कहा कि मैंने पूरी जिम्मेदारी के साथ शोध किया है और उसके संदर्भ भी दिए हैं।इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय बाल्मीकि मंदिर के प्रमुख स्वामी कृष्ण शाही विद्यार्थी जी महाराज ने आशीर्वचन दिया।——-